महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटों पर शुक्रवार को चुनाव होना है, जिसको लेकर शिवसेना और बीजेपी के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत को लेकर दावे कर रहे हैं। कुल 7 उम्मीदवार होने के कारण छठी सीट के लिए मुकाबला रोचक हो गया है। इस स्थिति में छोटे दलों और निर्दलीय सदस्यों पर सभी की नजरें जमी हुई हैं। वहीं, पहली बार राज्यसभा के लिहाज से शिवसेना और भाजपा आमने सामने हैं। इस मुद्दे पर एक टीवी डिबेट के दौरान शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी इसकदर भड़क गईं कि डिबेट छोड़ चली गईं।
‘आज तक’ के शो ‘हल्ला बोल’ के दौरान भाजपा और कांग्रेस के प्रवक्ताओं की बहस के बीच, प्रियंका चतुर्वेदी ने एंकर श्वेता सिंह से कहा, “अगर ये कांग्रेस-भाजपा की डिबेट है तो मैं जाना चाहूंगी, मैंने अपनी पार्टी की तरफ से पक्ष रख दिया है।” इतना कहने के साथ ही शिवसेना सांसद डिबेट छोड़कर चली गईं।
इसके पहले, एंकर के एक सवाल के जवाब में प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा-शिवसेना का सामना बहुत बार होगा, जिस तरह से भाजपा ने खरीद-फरोख्त का माहौल बनाया हुआ है, एक लंबी प्रथा जो महाराष्ट्र में चली आई है कि चाहें सत्ता पक्ष में हों या विपक्ष में… निर्विरोध उम्मीदवार चुनकर जाते थे, उसको तोड़ने का काम किया है।”
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “ऐसा माहौल बनाने का काम किया है कि जहां पर आप बढ़ावा देते हैं कि पैसों के बल पर हम चुनाव जीत सकते हैं और हार सकते हैं और ये पहली बार नहीं है। ये भाजपा की चुनावी रणनीति बन चुकी है। सुभाष चंद्रा को हरियाणा में जिताने की बात रही हो, अहमद पटेल का गुजरात में चुनाव देखा, जहां-जहां आकंड़े नहीं हैं वहां पर भी ये उम्मीदवार उतार रहे हैं और ये ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इनको लगता है कि पैसे के बल पर ये लोकतंत्र को खरीद सकते हैं।”
शिवसेना सांसद ने कहा, “इसलिए इनको सबक सिखाया जाए और बताया जाए कि सत्ता पक्ष और विपक्ष उतना ही महत्वपूर्ण है। रही बात लड़ाई की तो, हम निश्चिंत हैं कि हम जीतने वाले हैं और ये जो बार-बार माहौल बना रहे हैं तो रिजॉर्ट पॉलिटिक्स किसने शुरू किया है?”
दूसरी तरफ, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस के टिकट वितरण पर सवाल किया और कहा, “इमरान प्रतापगढ़ी का नाम क्या यह हकीकत नहीं है कि संदीप सिंह और अलंकार ने तय किया है। इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र में क्यों भेजा गया? क्या इमरान प्रतापगढ़ी मराठी मानुष हैं? उनका वहां से क्या लेना-देना है?”