10 जून को 22 साल के अंतराल के बाद महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। कुल रिक्त सीटें 6 हैं। मुख्य राजनीतिक दलों के विधायकों की संख्या से अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा दो सीट आसानी से जीत सकती है। वहीं शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को भी एक-एक सीट आराम से मिल सकती है। इस तरह कुल पांच सीटों पर मामला लगभग स्पष्ट है। लेकिन पेंच छठे सीट को लेकर फंस गई है।
विधायकों की संख्या बताती है कि इसके लिए किसी भी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि भाजपा और शिवसेना दोनों ने इस सीट के लिए उम्मदवारों की घोषणा कर दी है। इस तरह महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव में अचानक ही छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों की पूछ बढ़ गई है। भाजपा और शिवसेना दोनों की ओर से उन्हें लुभाने के लिए अलग-अलग ऑफर पेश किया जा रहा है। शिवसेना फंड का वादा कर रही है। वहीं भाजपा बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग और केंद्रीय फंड दिलाने की बात कह रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार का समर्थन करने की वजह से शिवसेना सरकार करीब 3-4 निर्दलीय विधायकों से नाराज थी। आरोप है कि इन विधायकों को न समय पर फंड मिलता है, न मुख्यमंत्री से मिलने का समय। अब ऐसे विधायकों को शिवसेना की तरफ से वादा किया जा रहा है कि अगर वो उनके पक्ष में वोट करते हैं तो क्षेत्र में विकास के लिए न सिर्फ फंड मिलेगा, बल्कि राज्य सरकार का पूरा समर्थन भी मिलेगा।
कुल कितने हैं निर्दलीय और छोटे दल के विधायक?
भाजपा अपनी तीसरी सीट और शिवसेना अपनी दूसरी सीट के लिए जिन विधायकों को लुभाने में लगी है, उनकी कुल संख्या 29 है। इनमें 13 निर्दलीय और 16 छोटे दल के विधायक शामिल हैं। निर्दलीयों को छोड़ दें तो छोटे दलों में बहुजन विकास अघाड़ी के तीन, एआईएमआईएम के दो, प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो, समाजवादी पार्टी के दो, क्रांतिकारी शेतकरी पार्टी का एक, पीडब्ल्यूपी का एक, एसएसएस का एक, राष्ट्रीय समाज पक्ष का एक, जनसुराज्य शक्ति का एक, माकपा का एक, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का एक विधायक है।
किसकी कितनी संख्या भारी?
महाराष्ट्र में राज्यसभा के एक उम्मीदवार को जीतने के लिए करीब 42 वोट चाहिए। भाजपा के पास कुल 106 विधायक हैं। इस तरह अपने दो उम्मीदवारों को जिताने के बाद भी पार्टी के पास 22 अतिरिक्त वोट बचते हैं। भाजपा इसी 22 वोट में 20 और विधायकों को जोड़कर तीसरा सीट भी पाना चाहती है। वहीं शिवसेना के पास अपने कुल 55, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के कुल 44 विधायक हैं। आंकड़े साफ बता रहे हैं कि तीनों दल आसानी से अपने एक-एक उम्मीदवार को जीत दिला देंगे। लेकिन इसके बाद भी शिवसेना के पास 13, एनसीपी के पास 12 और कांग्रेस के पास 2 अतिरिक्त वोट बचेगा। यानी गठबंधन के पास कुल 27 वोट एक्स्ट्रा है। इसी 27 में 15 और जोड़कर गठबंधन ने एक सीट अधिक पाने की लालसा पाल ली है।
दोनों पार्टियां दावा कर रही हैं कि छठी सीट के लिए निर्दलीय या छोटी पार्टियां उनका समर्थन करेंगी। हालांकि बीजेपी और शिवसेना के लिए ये लड़ाई सिर्फ राज्यसभा की एक सीट के लिए नहीं है। दोनों दल आगामी नगर निकाय चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। इसलिए निर्दलीय विधायकों को अपने पक्ष में करने के साथ-साथ अपने विधायकों को दूसरी पार्टी को वोट देने से रोकने के लिए कई तैयारियां की जा रही हैं।