उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले चुनावों में भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए कोई उम्मीदवार पेश किये जाने की कयासबाजियों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी के पास इस पद के लिए काबिल ’चेहरों’ की कोई कमी नहीं है। सिंह ने उत्तर प्रदेश में भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा आगे करके चुनाव लड़ने को लेकर चल रही कयासबाजी के सवाल पर संवाददाताओं से शुक्रवार (10 जून) को यहां कहा, ‘यूपी में काबिल चेहरों की कोई कमी नहीं है।’ इस जिक्र पर कि पार्टी की तरफ से उनको ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किए जाने की चर्चा है, सिंह ने कहा, ‘यह काल्पनिक प्रश्न है, इसका कोई मतलब नहीं है।’
इलाहाबाद में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि राजनाथ सिंह को प्रदेश में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी जा सकती है, भले ही उन्हें घोषित तौर पर मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया जाए। उत्तर प्रदेश में भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा पेश करने को लेकर कयासबाजी असम में भाजपा को मिली जीत के बाद जोर पकड़ गई है, जहां पार्टी ने सर्वानंद सोनोवाल को चुनाव से महीनों पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर दिया था। बिहार का भी उदाहरण दिया जा रहा है, जहां पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं घोषित किया था और विधानसभा चुनाव हार गई थी।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जातिवाद से प्रभावित उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सिंह को चेहरा बनाकर पेश करने से ब्राम्हण मतदाताओं के बिदक जाने की कथित आशंका के मददेनजर पार्टी फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं और पार्टी का एक बडा धड़ा उनके अनुभव और कद को देखते हुए उनको मुख्यमंत्री पद के लिए पेश किए जाने के लिए सर्वदा उपयुक्त मानता है।
विभिन्न कार्यक्रमों के सिलसिले में अपने संसदीय क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर यहां आए सिंह ने मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के बारे में पूछे गये सवालों को टाल दिया, वहीं जोर देते हुए कहा कि वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा। चार सौ तीन सदस्यों वाली मौजूदा विधानसभा में भाजपा 41 सदस्यों के साथ हालांकि तीसरे स्थान पर है, वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इसे लोकसभा की 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि दो सीटे इसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को मिली थी।