एक्टिंग से राजनीति में आए सुपरस्टार रजनीकांत ने हिंदी को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का विरोध किया। बुधवार (18 सितंबर) को बयान देते हुए रजनीकांत ने कहा, ‘थोपी गई हिंदी को कोई स्वीकार नहीं करेगा। खासतौर से दक्षिण भारत और तमिलनाडु में।’ उन्होंने कहा कि एक कॉमन लैंग्वेज से देश के विकास में मदद मिलेगी लेकिन भारत में कोई कॉमन लैंग्वेज नहीं है।

कमल हासन भी दे चुके चेतावनीः उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में हिंदी बोली जाती है, ऐसे में वहां कोई समस्या नहीं है लेकिन दक्षिण भारत में समस्या हो सकती है। अभिनय से राजनीति में आए एक और सुपरस्टार कमल हासन ने भी सरकार को इसी हफ्ते ‘एक देश, एक भाषा’ के एजेंडा पर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा था कि 1950 में भारत ‘विविधता में एकता’ के वादे के साथ ही गणतंत्र बना था। सोमवार (16 सितंबर) को हासन ने कहा था कि किसी भी शाह, सुल्तान या सम्राट को इस वादे से दूर नहीं जाना चाहिए।

‘जल्लीकट्टू से बड़ी होगी भाषा की लड़ाई’: कमल हासन ने कहा था कि तमिल भाषा की लड़ाई जल्लीकट्टू से बहुत बड़ी होगी। एक वीडियो के मुताबिक हासन ने कहा था, ‘जल्लीकट्टू को लेकर सिर्फ प्रदर्शन किया गया था। हमारी भाषा के लिए लड़ाई इससे काफी बड़ी होगी। भारत और तमिलनाडु को ऐसी जंग की जरूरत नहीं है। सर्वसमावेशी यानी इनक्लूसिव (सभी को साथ लेकर चलने वाले) देश को एक्सक्लूसिव मत बनाइये।

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शाह ने कही थी ये बातः गौरतलब है कि शनिवार (14 सितंबर) को हिंदी दिवस के मौके पर अमित शाह ने एक ट्वीट में लिखा था कि एक भाषा देश की वैश्विक पहचान बनाने में मदद करेगी। शाह ने सिलसिलेवार ट्विट्स में कहा था, ‘भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं और सभी भाषाओं का अपना महत्व है। लेकिन यह महत्वूर्ण है कि पूरे देश की एक भाषा हो, ताकि वो दुनिया में देश की पहचान बन सके।’