राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के एक पासे ने फिर से राज्यसभा चुनाव का समीकरण बदलकर रख दिया है। राजस्थान की चौथी सीट पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के बीच मुकाबला होगा। सुभाष चंद्रा की एंट्री से प्रमोद तिवारी की सीट फंसती दिख रही थी। बीजेपी और बसपा उनका पहले ही समर्थन का ऐलान कर चुकी है। ऐसे में विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप कांग्रेस लगा रही थी।
इसी बीच खबर आई कि कांग्रेस के छह विधायक नाराज चल रहे हैं। इनकी नाराजगी से कांग्रेस का समीकरण बिगड़ता दिखा, लेकिन राज्यसभा चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत, नाराज विधायकों को वापस अपने खेमे में ले आए हैं। इन विधायकों के आते ही कांग्रेस का समीकरण मजबूत होता दिख रहा है।
कहां हैं कांग्रेस विधायक- खरीद फरोख्त से डरी कांग्रेस अपने सभी विधायकों को उदयपुर के ताज अरावली रिसॉर्ट में रखे हुए है। यहां उसके छह विधायक नहीं पहुंचे थे, जिसे शनिवार की देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद इन्हें लेकर रिसॉर्ट पहुंचे।
गहलोत की रणनीति- दरअसल सरकार के मुख्य सचेतक और कैबिनेट मंत्री महेश जोशी ने राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को एक पत्र लिखकर खरीद-फरोख्त के कथित प्रयासों की जांच की मांग की थी। एसीबी प्रमुख को अपनी शिकायत में जोशी ने कहा- “जैसा कि सर्वविदित है, देश के विभिन्न राज्यों में, विशेष रूप से चुनावों जैसे राजनीतिक गतिविधियों के आसपास, भ्रष्ट तरीके से विधायकों या मतदाताओं की खरीद-बिक्री का माहौल बनाया जाता है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से ऐसी आशंकाएं हैं कि राज्यसभा चुनाव के दौरान धनबल का खेल हो सकता है।”
गहलोत ने क्या कहा- जोशी की इस शिकायत को बागी विधायकों के सामने एक चेतावनी के रूप में पेश किया गया। जोशी की शिकायत के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने कहा- ”यह इस वजह से दिया गया है कि जिस तरह से बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त का माहौल बनाया गया है। जब कोई बड़ा उद्योगपति आता है, तो स्वाभाविक रूप से आप जानते हैं कि वे क्यों आए हैं? जब बीजेपी के पास नंबर नहीं है तो उन्हें क्या वोट मिलेगा? क्या कारण है कि उन्हें वोट मिलेगा? जब मैं बार-बार कह रहा हूं कि सभी हमारे साथ हैं और उन्होंने संकट में हमारा साथ दिया, तो कोई उनसे (क्रॉस वोटिंग) उम्मीद कैसे कर सकता है, चाहे वह बीजेपी हो या कोई भी? इसलिए नहीं जानते कि उनके और उनके आलाकमान और स्थानीय नेताओं के बीच क्या चर्चा हुई, वे बेहतर जानते हैं, लेकिन हम कह सकते हैं कि हमारा कुनबा एकजुट है, हम तीनों सीटें जीतेंगे”।
बागी विधायकों ने क्या कहा- बागी विधायकों में शामिल वाजिब अली ने उदयपुर पहुंचने के बाद द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा- “हमारे पास मुद्दे थे और हमने उन मुद्दों को सीएम साहब के साथ ‘जोर से’ उठाया। सीएम साहब ने वादा किया है कि उन मुद्दों का समाधान किया जाएगा। अधिकारियों और अन्य मंत्रियों की ओर से हम लंबे समय से जिस लापरवाही का सामना कर रहे थे, उन बातों का ध्यान रखा जाएगा।”
सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने शुक्रवार को दावा किया था कि बसपा से आए कुछ विधायकों को वह सम्मान नहीं दिया गया जिसके वे हकदार थे। गुढ़ा उन छह बसपा विधायकों में शामिल थे, जो विधानसभा चुनाव के एक साल बाद 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इनके अलावा लखन सिंह (करौली से विधायक), संदीप कुमार (तिजारा, अलवर से विधायक), गिरिराज सिंह (बारी, धौलपुर से विधायक), खिलाड़ी लाल बैरवा (बसेरी, धौलपुर से विधायक) हैं।
बता दें कि कांग्रेस अपने दो उम्मीदवारों को राज्यसभा में भेज सकती है जबकि भाजपा एक सीट जीत सकती है, लेकिन कांग्रेस ने तीन और भाजपा ने दो उम्मीदवार उतारे हैं। इसलिए, दोनों दलों को पार्टी के बाहर की वोटों की जरूरत है। कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं, इस तरह उसे तीसरी सीट जीतने के लिए 15 और वोटों की जरूरत है। कांग्रेस अतिरिक्त 18 विधायकों के समर्थन का दावा करती रही है। भाजपा के पास 71 विधायक हैं और उसे अपनी दूसरी सीट जीतने के लिए 11 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।