Rajasthan Assembly: राजस्थान में विधानसभा का चुनाव इसी साल होने वाला है। चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं। साल के आखिर में होने वाला चुनाव बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए जीतना काफी महत्वपूर्ण है। कांग्रेस जहां एक बार फिर से सत्ता में वापसी करना चाहेगी तो वहीं बीजेपी के लिए पांच साल बाद सत्ता में आना किसी चैलेंज से कम नहीं होगा। इसी को लेकर एबीपी-सीवोटर ने एक ओपिनियन पोल किया है।

एबीपी-सीवोटर के ओपिनियन पोल में सवाल किया गया था कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में कौन बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी और कौन सत्ता की कुर्सी पाएगा? इसको लेकर किए गए सर्वे में हैरान करने वाले परिणाम सामने आए हैं।

सर्वे में बीजेपी को 109-119 सीटें मिलने की संभावना

सर्वे के मुताबिक, राजस्थान में एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनेगी। सीएम अशोक गहलोत को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। सर्वे में जहां बीजेपी को 109-119 के बीच सीटें मिलने की संभावना जताई गई है तो वहीं कांग्रेस को 78-88 सीटों पर संतोष करना पड़ेगा। अन्य दलों को 1-5 सीटें मिल सकती हैं। राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 200 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वह बहुमत का आकड़ा नहीं छू पाई थी, जबकि कांग्रेस को 100 से ज्यादा सीटें मिली थीं। चुनाव में वोट प्रतिशत की बात करें तो यहां भी विपक्षी पार्टी बीजेपी बाजी मारती नजर आ रही है। भाजपा को 46 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 41 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं 13 प्रतिशत वोट अन्य दलों के खाते जा सकते हैं।

राजेंद्र गुढ़ा और सचिन पायलट की नाराजगी कांग्रेस के लिए बड़ा मुद्दा

वहीं राजस्थान के सियासी गलियारों में इन दिनों एक नाम काफी चर्चा में है, वो है राजेंद्र गुढ़ा। राजस्थान सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को अपने ही सरकार विरोधी बयान के लिए मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा है। उन्हें तत्काल प्रभाव से सीएम अशोक गहलोत द्वारा मंत्री पद से हटा दिया गया था। सवाल ये है कि चुनावी साल में सीएम गहलोत के इस फैसले से कांग्रेस को कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि विपक्षी बीजेपी भी इसे लेकर हमलावर है। साथ ही लाल डायरी का मुद्दा भी सुर्खियों में है।

बीजेपी ने लाल डायरी को लेकर सवाल खड़े करते हुए सरकार से पूछा है कि आखिर इससे सरकार इतनी विचलित क्यों हो रही है। वहीं दूसरा अशोक गहलोत के लिए दूसरा मुद्दा सचिन पायलय भी हैं, यह जगजाहिर है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत की पटरी नहीं खाती है तो ऐसे में कांग्रेस पार्टी को इसका भी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।