राज्यसभा चुनाव के लिए 10 जून को मतदान होना है, लेकिन कई राज्यों में राजनीतिक दलों को क्रॉस वोटिंग का डर है। राजस्थान, हरियाणा में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर है। राजस्थान से निर्दलीय उम्मीदवार और मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा मैदान में हैं। उन्हें बीजेपी का भी समर्थन प्राप्त है और उन्होंने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस विधायक उनके पक्ष में क्रॉस वोटिंग करेंगे। वहीं सचिन पायलट ने हिदायत दी है कि सुभाष चंद्रा मतदान से पहले ही हट जाएं।

सुभाष चंद्रा ने मंगलवार को दावा किया कि 8 विधायकों की क्रॉस वोटिंग के समर्थन से वह राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज करेंगे। सुभाष चंद्रा को कुल 33 विधायकों का समर्थन प्राप्त है जिसमें 30 भाजपा और तीन राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के हैं। उन्हें राज्यसभा सांसद बनने के लिये कुल 41 मतों की जरूरत है। सुभाष चंद्रा ने आरएलपी विधायकों से स्पष्ट समर्थन मिलने पर उनका आभार व्यक्त करते हुए कहा कि नौ अन्य विधायक भी गुप्त रूप से उनके संपर्क में हैं।

कांग्रेस विधायकों की ओर इशारा करते हुए सुभाष चंद्रा ने कहा, “ऐसा मेरा अंदाज है कि आठ लोग क्रॉस वोटिंग करेंगे। इसलिये नहीं कि उन्हें सुभाष चंद्रा से प्रेम हो गया है। लेकिन जैसा व्यवहार इस सरकार (राज्य की कांग्रेस सरकार) के कार्यकाल में हुआ या जलालत सही है, उस कारण वो क्रॉस वोट करके मुझे वोट देंगे।” पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के अपमानित महसूस करने संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए सुभाष चंद्रा ने कहा कि वह (सचिन पायलट) इस अवसर का उपयोग बदला लेने या संदेश देने के लिये प्रयोग कर सकते हैं।

सुभाष चंद्रा ने आगे कहा कि अगर वह (पायलट) चूक जाते है तो 2028 तक वे मुख्यमंत्री नहीं बन सकेंगे। संख्या बल के हिसाब से राजस्थान की 200 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस अपने 108 विधायकों के साथ दो सीटें व भाजपा 71 विधायकों के साथ एक सीट आराम से जीत सकती है। दो सीटों के बाद कांग्रेस के पास 26 अधिशेष व भाजपा के पास 30 अधिशेष वोट होंगे।

वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा द्वारा राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग होने के दावे पर कटाक्ष करते हुए मंगलवार को उन्हें मतदान से पहले ही मैदान से हटने की सलाह दी। पायलट ने इस पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, “राजस्थान के निर्दलीय उम्मीदवार को थोड़ी सलाह- 10 तारीख को मतदान से पहले प्रतियोगिता से बाहर होना ही बेहतर रहेगा। अपमानित होने के बजाय विनम्र होना अच्छा है। दुर्भाग्य से राजनीति कोई टीवी सीरीज़ बनाने की तरह नहीं, जहां आप तय करते हैं कौन क्या करेगा।”