साल 2019 से पहले राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव की आहट पाते ही प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। इसी राजनीति की बानगी शनिवार (22 सितंबर) को राजस्थान के अलवर में देखने को मिली। जब अलवर के बानसूर में सीएम वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा के दौरान दो बीजेपी नेताओं में जमकर मारपीट हुई। जिस वक्त ये वाकया हुआ सीएम वसुंधरा राजे खुद मंच पर थीं। बाद में उन्होंने खुद आगे आकर मोर्चा संभाला।

दरअसल, अलवर जिले के बानसूर में सीएम वसुंधरा राजे ने जनसभा का आयोजन किया था। इस सभा में सारे इंतजाम अंतराज्यीय जल विवाद निवारण समिति के चेयरमैन रोहिताश्व शर्मा ने किए थे। जबकि जनसभा के लिए भीड़ जुटाने का जिम्मा यूआईटी चेयरमैन देवी सिंह शेखावत के पास था। बताया जाता है कि ये दोनों ही बानसूर सीट से भाजपा की टिकट के दावेदार भी हैं।

सूत्रों के मुताबिक, सीएम वसुंधरा राजे ने मंच पर आकर जनता का अभिवादन किया और भाषण शुरू कर दिया। लेकिन इस दौरान रोहिताश्व शर्मा को तो मंच पर जगह मिल गई। लेकिन देवी सिंह को मंच पर जगह नहीं मिली। खुद को ठगा सा महसूस करने वाले देवी सिंह ने मंच पर चढ़कर रोहिताश्व शर्मा से कुर्सी छीनने की कोशिश की। इसी सिलसिले में दोनों के बीच हाथापाई शुरू हो गई।

हाथापाई होते ही सीएम वसुंधरा राजे के सुरक्षा दस्ते ने यूआईटी के चेयरमैन देवी सिंह शेखावत को स्टेज से नीचे धकेल दिया। इसके बाद सीएम ने खुद दखल देकर मामले को शांत करवाया और देवी सिंह को वापस मंच पर बैठने की जगह दिलवाई।

जिस समय मंच पर दोनों नेताओं के बीच हाथापाई चल रही थी। स्टेज के सामने बैठी जनता ने अपने-अपने नेताओं के पक्ष में नारेबाजी शुरू कर दी। इस पूरे प्रकरण में पार्टी और संगठन की एकजुटता को नुकसान होता देखकर सीएम वसुंधरा राजे को इस झगड़े में खुद दखल देना पड़ा। वहीं जनता को नेताओं के पक्ष में नारे लगाने से रोकने के लिए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने वंदे मातरम के नारे लगवाने शुरू कर दिए।

वैसे बता दें कि शनिवार को ही बाड़मेर जिले के पचपदरा में पूर्व भाजपा नेता जसवंत सिह के बेटे ने भी भाजपा के खिलाफ खुली बगावत का ऐलान कर दिया है। उन्होंने स्वाभिमान रैली का आयोजन करके भाजपा के खिलाफ होने का ऐलान किया। उन्होंने मंच से ऐलान किया कि हमारी एक ही भूल, कमल का फूल।