उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों के बीच प्रवासी मजदूरों को बसों से उनके घर भेजने के विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। अब राजस्थान के परिवहन विभाग ने योगी सरकार को पत्र लिखकर लॉकडाउन के बीच राजस्थान रोडवेज की बसों से छात्रों को कोटा से झांसी और आगरा छोड़ने की बकाए राशि की मांग की है। इस पर फिलहाल यूपी सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अब बसों को लेकर विवाद गहराने के आसार हैं।

क्यों शुरू हुआ यह मामला?
हाल ही में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार को प्रस्ताव दिया था कि वे सड़कों पर घूम रहे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए 1000 बसें मुहैया करा सकती हैं। यूपी सरकार ने पहले इसके लिए प्रियंका से बसों की लिस्ट मांगी और फिर उनका प्रस्ताव यह आरोप लगाकर खारिज कर दिया कि दी गई लिस्ट में कई दोपहिया और तीन-पहिया वाहन हैं। साथ ही कुछ के कागज पूरे नहीं हैं। इस पर प्रियंका को राजस्थान से आगरा बॉर्डर पर मंगाई गई बसों को वापस भेजना पड़ गया।

क्या है राजस्थान परिवहन विभाग की मांग?
राजस्थान के परिवहन विभाग ने उत्तर प्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को पत्र लिखकर कहा है कि योगी सरकार ने कोटा में फंसे 10,500 छात्रों को वापस ले जाने के लिए इंतजाम करने की मांग की थी। राजस्थान परिवहन विभाग ने 17 अप्रैल से 19 अप्रैल के बीच इन छात्रों को आगरा और झांसी पहुंचाने के लिए अपनी बसें मुहैया कराईं। इस लिहाज से यूपीएसआरटीसी को हमें 36 लाख 36 हजार 664 रुपए चुकाने हैं। राजस्थान रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ने बैंक डीटेल्स भेजने के साथ यह भी कहा है कि आरटीजीएस माध्य्म से पेमेंट तुरंत किया जाए।

राजस्थान सरकार के मंत्री बोले- UPSRTC ने डीजल का बकाया चुकाया
इस बीच राजस्थान सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खचरियावस ने कहा है कि अप्रैल में जब यूपी सरकार ने कोटा में फंसे छात्रों को निकालने के लिए बसें भेजी थीं, तब यूपी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ने पत्र लिखकर फोन कर आग्रह किया था कि उनकी बसों में राजस्थान में भी डीजल भरवा दिया जाए। इस बाबत उन्होंने बाद में बकाया चुकाने की बात कही थी। मंत्री ने कहा कि हमारे परिवहन विभाग ने उनकी करीब 100-120 बसों को डीजल मुहैया करवाया। हमने उन्हें बसें भी दीं। दो विभागों के बीच यह फैसला हुआ और बाद में पेमेंट क्लियर की गईं।

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