अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सीएम भगवंत मान के खिलाफ आरोप लगाया था कि 14 अप्रैल को भटिंडा में तख्त साहिब में वो शराब के नशे में आए थे और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने तुरंत बादल के आरोप का समर्थन किया था। हालांकि अब SGPC ने भगवंत मान पर बादल द्वारा लगाए गए आरोपों से खुद को अलग कर लिया है।
मान के कार्यक्रम का हिस्सा रहे बलदेव सिंह ने इस बात से इनकार किया कि सीएम नशे में थे और उन्होंने कहा कि वह उस दिन थके हुए थे। बादल के दावों के बारे में पूछे जाने पर बलदेव सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, “मैंने एसजीपीसी के अधिकारियों के साथ सीएम मान को सम्मानित किया। मुझे पता होता कि वह नशे में हैं तो मैं उन्हें वहीं रोक देता, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। हो सकता है कि वह थक गए हों।”
एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह समिति के लिए कार्रवाई करने का मामला नहीं है बल्कि यह एक व्यक्ति और उसके भगवान के बीच का मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि एसजीपीसी अकाली दल की लाइन पर नहीं चलता है, यह एक स्वतंत्र संस्था है। एसजीपीसी के रुख में नरमी राज्य में बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के कारण लग रही है। भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार तय करेगी कि समिति के चुनाव कब होंगे।
नई सरकार बनने के पहले महीने में ही आप सरकार के साथ एसजीपीसी के संबंधों में खटास आ गई। 17 मार्च को बादल परिवार के स्वामित्व वाले पंजाबी चैनल पीटीसी के प्रबंध निदेशक और अन्य के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया था, जिससे एसजीपीसी को चैनल के साथ अपने संबंधों को तोड़ने के लिए फैसला लेना पड़ा। स्वर्ण मंदिर से गुरबानी के सीधा प्रसारण पर पीटीसी का एकाधिकार है। एसजीपीसी, 1920 में अकाली दल के गठन से एक महीने पहले अस्तित्व में आई थी। SGPC अधिकांश समय तक अकाली दल से जुड़ी रही है और उसकी नीतियों का मार्गदर्शन भी करती रही है।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, जिन पर पहले कई मुद्दों पर बादल परिवार का बचाव करने का आरोप लगता रहा है, उन्होंने आखिरकार एसजीपीसी से कहा है कि वह 6 जून से पहले गुरबानी के सीधे प्रसारण के लिए अपनी व्यवस्था करें।