केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी एडमिनिस्ट्रेशन के कर्मचारियों के लिए वहीं लाभ मिलेंगे जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलते हैं। केंद्र के इस फैसले के बाद पंजाब में राजनीतिक भूचाल आ गया है। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी के साथ अकाली दल और कांग्रेस भी इसके विरोध में नजर आए हैं। सभी राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर आरोप लगाया है कि इस फैसले के बाद राजधानी चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा कमजोर होगा और यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। वहीं आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि राज्य में बड़ी जीत के बाद भाजपा ने घबराहट में यह फैसला लिया है।

कर्मचारियों को होगा बड़ा फायदा: गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को ऐलान किया था कि अब चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश के कर्मचारियों को भी केंद्रीय कर्मचारियों की तरह सुविधाओं का लाभ दिया जाएंगा, इसके साथ उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि और महिलाओं को अधिक बाल देखभाल अवकाश की अनुमति मिलेंगी।

शाह ने आगे विस्तार से बताया कि अब 1अप्रैल से चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचरियों के सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़कर 60 हो जाएगी और महिलाओं को बच्चों की देखभाल के लिए एक साल की जगह दो साल तक की छुट्टी मिलेंगी।

फैसले का हुआ विरोध: पंजाब की सभी पार्टियों ने एक सुर में केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। आम आदमी पार्टी से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ट्वीट किया कि 2017 से 2022 के दौरान जब कांग्रेस सत्ता में थी तब अमित शाह ने चंडीगढ़ की शक्तियां नहीं छीनी थीं। जैसे ही आप पंजाब में सरकार में आई, अमित शाह ने चंडीगढ़ की सभी की शक्तियां छीन लीं। आगे उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि आप के बढ़ने से भाजपा डर रही है।

दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैरा ने केंद्र के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि हम चंडीगढ़ के नियंत्रण पर पंजाब के अधिकारों को हड़पने के भाजपा के तानाशाही फैसले की कड़ी निंदा करते हैं। यह (चंडीगढ़) पंजाब का है और यह एकतरफा फैसला न केवल संघवाद पर सीधा हमला है बल्कि केन्द्रशासित पर पंजाब के 60 फीसदी नियंत्रण के हिस्से पर भी हमला है।