पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ पिछले दिनों भाजपा में शामिल हो गए थे। कांग्रेस आलाकमान से लंबे समय से नाराज चल रहे सुनील जाखड़ ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया था। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद अपनी ताकत में इजाफा करने की कोशिश में जुटी भाजपा राज्य में हमेशा एक जूनियर सहयोगी की भूमिका में रही है। अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने से पहले 117 में से पार्टी 23 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारती थी।
हाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ गठबंधन में महज दो सीटों पर जीत दर्ज की थी और कुल 7 फीसदी वोट हासिल किए थे। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सरकार बनाई। वहीं, हाल ही में कांग्रेस के चार पूर्व मंत्री और अकाली दल के दो विधायक शामिल हुए हैं।
महासचिव सुभाष शर्मा ने कहा कि कई प्रमुख सिख चेहरों के शामिल होने के साथ, यह मिथक टूट गया है। अब लोग जानते हैं कि हम सभी लोगों की पार्टी हैं। पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, “बीजेपी पंजाब में बड़ी पार्टी है। हिंदू-सिख एकता के लिए हम छोटी पार्टी बन कर रहे हैं, अब हम उसी लक्ष्य के लिए बड़ी पार्टी बन कर आएंगे। ये अब समय की मांग है।”
सुनील जाखड़ और उसके बाद पिछले शनिवार को भाजपा में शामिल हुए चार पूर्व कांग्रेस मंत्रियों, राज कुमार वरका, बलबीर सिंह सिद्धू, सुंदर शाम अरोड़ा और गुरप्रीत सिंह कांगर की एंट्री ने पार्टी की उम्मीदों को नए पंख दिए हैं। यह इतिहास में पहली बार है कि भाजपा ने एक उम्मीदवार, पूर्व कांग्रेस विधायक केवल ढिल्लों को संगरूर लोकसभा सीट से उतारा है, जहां 23 जून को मतदान होना है।
कांग्रेस के अलावा दो अकाली नेता, बठिंडा के पूर्व विधायक सरूप चंद सिंगला और शाम चौरासी से तीन बार के विधायक मोहिंदर कौर जोश भी पिछले हफ्ते पार्टी में शामिल हुए थे। सुभाष शर्मा आने वाले महीनों में इस तरह के और ‘मौकों’ की उम्मीद कर रहे हैं, उन्हें संगरूर उपचुनाव से बहुत उम्मीदें हैं।