लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण की वोटिंग हो चुकी है। एक जून को आखिरी चरण की वोटिंग होगी और इसी दौरान पंजाब में भी वोटिंग होगी। इस दौरान प्रकाश सिंह बादल की विरासत को लेकर उनके पैतृक गांव बादल में ग्रामीणों के बीच हलचल मची है। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के संरक्षक के निधन के बाद यह पहला चुनाव होगा और ग्रामीण स्वीकार करते हैं कि सबको पूरा यकीन नहीं है कि जिस गांव ने हमेशा अकाली दल को अधिक वोट दिया है, वह इस बार कैसे वोट करेगा?

बादल गांव के रहने वाले एक ग्रामीण राजिंदर सिंह लाली ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “बादल साहब का एक अलग औरा था। वह लोगों को उनके चेहरे से पहचानते थे और यहां तक ​​कि उनके परिवारों को भी याद करते थे। पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहने के बावजूद वह हमेशा एक अच्छे संपर्क वाले नेता थे। इस बार वह हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन हम ग्रामीणों के साथ-साथ राज्य के लोग उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद करते हैं।”

बादल गांव बठिंडा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह श्री मुक्तसर साहिब जिले में पड़ता है। इस गांव में करीब 3 हजार मतदाता है। यहां से शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल मौजूदा सांसद हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू, आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह खुदियां और भाजपा की परमपाल कौर सिद्धू से होगा। बादल परिवार के पास अभी भी गांव में एक घर है और जब वे राज्य में होते हैं तो वे वहीं रहते हैं।

‘प्रकाश सिंह बादल की जगह भरना मुश्किल’

राजिंदर सिंह लाली ने आगे कहा, “बादल मुख्यमंत्री रहते हुए भी लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलते थे। लोग उनके बेटे और अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से भी यही उम्मीद करते हैं। वह अधिक धैर्यवान हैं, अधिक उपलब्ध हैं लेकिन सीनियर बादल (प्रकाश सिंह बादल) की जगह भरना मुश्किल है।” बादल गांव लांबी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है, जहां से प्रकाश सिंह बादल ने 1997 से 2017 तक लगातार जीत हासिल की थी। 2022 में प्रकाश सिंह बादल लांबी से पहली बार आप उम्मीदवार से चुनाव हार गए।

बादल गांव के कार्यवाहक सरपंच जबरजंग सिंह बादल ने कहा, “आम तौर पर ग्रामीण एक निश्चित तरीके से मतदान करते हैं, लेकिन 2022 में आप की लहर के कारण वे बदल गए। प्रकाश सिंह बादल भले ही हार गए हों लेकिन उनके पैतृक गांव से अकाली दल को सबसे ज्यादा वोट मिले। 2022 में AAP को लगभग 700 की तुलना में SAD को 1,100 से अधिक वोट मिले।”

कार्यवाहक सरपंच ने कहा कि बादल गांव काफी विकसित है, लेकिन पंचायत की आय कम है। उन्होंने कहा, “अन्य गांवों के विपरीत हमारे पास आय बनाने के लिए कृषि उद्देश्यों के लिए कोई सामान्य पंचायत भूमि नहीं है। हमें बस कुछ दुकानों से कुछ हज़ार रुपये किराया मिल जाता है। यह रोजमर्रा के पंचायत खर्चों के लिए पर्याप्त नहीं है। गांव में पंचायत भूमि पर स्कूल, कॉलेज आदि जैसी इमारतें हैं, इसलिए यह चिंता का कारण है।”

कांग्रेस की भी चल रही चर्चा

एक अलग सुर में बोलते हुए पंचायत सदस्य हीरा लाल बादल ने कांग्रेस के पक्ष में बात की। हीरा ने पार्टी नेता महेश इंदर बादल की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “अब ग्रामीण सुखबीर सिंह बादल की तुलना में महेश इंदर बादल से अधिक मिलते हैं क्योंकि महेश इंदर अधिक सुलभ हैं।” इस बीच ग्रामीण जसविंदर सिंह ने किसी भी राजनेता से कोई मदद नहीं मिलने की शिकायत की। उन्होंने कहा, “पिछले साल अत्यधिक बारिश के कारण मेरा घर क्षतिग्रस्त हो गया और मेरा मामला मुआवजे का पात्र था। मैं अब भी इंतजार कर रहा हूं। न तो बादलों और न ही कृषि मंत्री खुदियां ने मदद की।

हालांकि मोटर मैकेनिक गुरदास सिंह ने कहा कि अभी यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि गांव में मतदान कैसे होगा। यह स्वीकार करते हुए कि बादल गांव ने हमेशा अकाली दल को वोट दिया है, उन्होंने कहा, “अभियान को तेज़ होने दीजिए।”