Punjab Kisan: पंजाब के किसानों ने शुक्रवार को भगवंत मान सरकार खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। किसानों ने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि खेती और पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जाए। मोगा जिले की अनाज मंडी में कीर्ति किसान यूनियन (केकेयू) द्वारा आयोजित एक रैली में किसानों ने कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी का मुद्दा भी उठाया।

केकेयू के राज्य प्रेस सचिव रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा, “किसान पंजाब के माझा, मालवा और दोआबा क्षेत्रों के विभिन्न क्षेत्रों से आए थे। जहां पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान किसानों से नहर के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की अपील कर रहे हैं, वहीं हमारी मांग है कि नहर का पानी हर घर को पीने के साथ-साथ खेती के लिए भी उपलब्ध कराया जाए। हम भी नहर के पानी का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन यह पंजाब के हर गांव तक नहीं पहुंचता।

‘भगवंत मान को अपने विधानसभा के आसपास क्षेत्रों का भी ध्यान देना चाहिए’

कीर्ति किसान यूनियन के राज्य महासचिव राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा, “सीएम भगवंत मान अपने भाषणों में कहते हैं कि पंजाब केवल 34% नहर के पानी का उपयोग कर रहा है, जबकि राजस्थान 87% का उपयोग करता है, लेकिन अगर राज्य में नहरों का नेटवर्क होगा तो हम भी राज्य के अन्य हिस्सों की तरह इसका इस्तेमाल करेंगे। मान को अपने विधानसभा क्षेत्र और आसपास के इलाकों का ध्यान रखना चाहिए।

65 गांव के किसानों ने भगवंत मान से की मांग

राजिंदर सिंह ने कहा कि धुरी, मालेरकोटला, दिरबा और संगरूर विधानसभा क्षेत्र के 65 गांवों के किसान इस सरकार से नहरी पानी की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ये क्षेत्र शोषित क्षेत्र हैं। सरकार उनके लिए क्या कर रही है? उन्होंने कहा कि पंजाब के हर घर को पीने के पानी पर खर्च करना पड़ता है, यानी उन्हें पीने का साफ पानी लेने के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) प्यूरीफायर लगाना पड़ता है या साधारण आरओ सिस्टम से पानी खरीदना पड़ता है। क्या हमें स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है? केकेयू के अध्यक्ष निर्भाई सिंह धुदिके ने कहा, “हम खेती को और अच्छा करने के लिए भारत-पाकिस्तान व्यापार के लिए अटारी और हुसैनीवाला रोड कॉरिडोर खोलने की भी मांग करते हैं।”

केकेयू के राज्य महासचिव ने कहा कि कृषि संकट को हल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा फसल विविधीकरण के दावे महज आंखों में धूल झोंकने वाले हैं। कृषि संकट की मूल जड़ हरित क्रांति के कॉर्पोरेट समर्थक कृषि विकास मॉडल में निहित है, जिसने किसानों को गहरे कर्ज में फंसाने के अलावा पानी और पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है। विरोध रैली में बड़ी सभा को संबोधित करते हुए राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा कि इस मॉडल को एक आत्मनिर्भर, विषाक्त मुक्त, प्रकृति के अनुकूल और लाभदायक खेती मॉडल के साथ बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केकेयू ने स्वामीनाथन आयोग के ‘C2+50% फॉर्मूले’ के आधार पर किसानों के लिए कर्ज राहत और एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर एक अभियान भी चलाया है। उन्होंने सरकार से जल संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भी कहा है।

रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा, ‘एक तरफ राज्य में पानी का संकट दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री राजस्थान को और पानी देने की मंजूरी दे रहे हैं। हम मान सरकार को आगाह कर रहे हैं कि वह राज्य की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ बंद करे और हर खेत को नहर का पानी और हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे।

केंद्र सरकार दोयम दर्जे का कर रही व्यवहार

नदी जल विवाद की समस्या को नदी तट सिद्धांत के अनुसार हल करने का आह्वान करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि राज्य में ‘बर्बाद’ नहर प्रणाली की मरम्मत कर उसे बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए नहर प्रणाली के नेटवर्क का विस्तार करना महत्वपूर्ण है कि पानी हर खेत और घर तक पहुंचे। केकेयू की महिला विंग की नेता हरदीप कौर कोटला और राज्य नेता सुरिंदर सिंह बैंस ने केंद्र की भाजपा सरकार पर दोयम दर्जे का आरोप लगाया।