Haryana News: गुरुग्राम के एक प्राइवेट स्‍कूल ने टीचर कपल को नौकरी से न‍िकाला, जिसके बदले में अब उन्हें 50 लाख रुपए देने होंगे। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में जीडी गोयनका स्कूल, गुरुग्राम (Gurugram) को शिक्षक दंपती को मुआवजे के रूप में 50 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। दरअसल, इन शिक्षक दंपती को नियमों का उल्लंघन करते हुए और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना स्कूल द्वारा अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया गया था।

Gurugram के जीडी गोयनका स्कूल ने टीचर कपल को बर्खास्त कर दिया था

यह विवाद तब शुरू हुआ जब 2015 में जीडी गोयनका स्कूल में फिजिकल एजुकेशन टीचर कपल परवीन शेखावत और अजय सिंह शेखावत को नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उनके प्रदर्शन को मानक स्तर से कम होने की सूचना दी गई। इसके बाद दोनों को एक महीने का नोटिस देकर बर्खास्त कर दिया गया। मामला कोर्ट में पहुंचने पर ट्रिब्यूनल ने दंपती को बैक वेज के साथ बहाल करने का आदेश दिया था, जिसकी पुष्टि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने की थी।

जिसके बाद यह मामला जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ तक पहुंचा जब स्कूल ने अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेशों और हाईकोर्ट के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ टू लेटर पेटेंट अपील दायर की। हालांकि यह देखते हुए कि कपल की वापस नियुक्ति नहीं की जा सकती अमान्य फैसला है, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए मुआवजे के भुगतान का आदेश दिया।

बेंच के समक्ष स्कूल ने क्या कहा

डिवीजन बेंच के समक्ष स्कूल ने तर्क दिया कि अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 73 के तहत व्यक्तिगत सेवा के अनुबंध से संबंधित रोजगार विवाद में बहाली का आदेश नहीं दिया जा सकता। इस मामले में अधिक से अधिक नुकसान की भरपाई करने का आदेश दिया जा सकता है। चूंकि नुकसान का भुगतान पहले ही कर दिया गया, ट्रिब्यूनल द्वारा कोई बहाली का आदेश नहीं दिया जा सकता।

Punjab and Haryana High Court ने दिया मुआवजे का आदेश

वहीं, दूसरी ओर कर्मचारियों ने तर्क दिया कि नियुक्ति पत्र के अनुसार, तीन महीने का नोटिस दिया जाना चाहिए। जिसका उल्लंघन करते हुए उनकी बर्खास्तगी अवैध है। हरियाणा शिक्षा अधिनियम, 2003 के तहत ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में दो कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस दिए बिना या सुनवाई का मौका दिए बिना बर्खास्त करने को अवैध माना। जिसके बाद कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी की तारीख से 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ पूरे बैक वेतन के साथ सेवा में बहाली का आदेश दिया।