Pune Porsche crash case: महाराष्ट्र के महिला एवं बाल विकास विभाग के आयुक्त डॉ. प्रशांत नरनावरे (Dr Prashant Narnaware) ने पुणे पोर्श कार दुर्घटना (Pune Porsche car crash) मामले में नाबालिग आरोपी को जमानत देने में कई प्रक्रियागत खामियों (Procedural Lapses) के लिए किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के दो गैर-न्यायिक सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। डॉ. नरनावरे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “विभिन्न अनियमितताओं को उजागर करने वाली रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है।”
पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई को हुई थी घटना
19 मई की घटना को लगभग दो महीने हो चुके हैं, जिसमें एक नाबालिग लड़के ने कथित तौर पर पुणे के कल्याणी नगर में एक पोर्श को मोटरसाइकिल से भिड़ा दिया था, जिसके कारण दो तकनीशियनों, अनीश अवधिया (Aneesh Awadhiya) और अश्विनी कोष्टा (Ashwini Koshta) की मौत हो गई थी।
नाबालिग आरोपी को शुरू में सड़क दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने के निर्देश के साथ जेजेबी ने जमानत दे दी थी। बाद में मामले में कई गिरफ्तारियां की गईं। 17 वर्षीय आरोपी को बिना किसी कठोर दंडात्मक उपाय के मुक्त करने के लिए जेजेबी की आलोचना के बाद विभाग ने पांच सदस्यीय समिति गठित की क्योंकि उसे प्रथम दृष्टया पता चला कि जेजेबी के एक सदस्य ने नाबालिग लड़के को जल्दबाजी में जमानत दे दी थी।
डॉ. नरनावरे ने कहा कि समिति के निष्कर्षों के आधार पर दो गैर-न्यायिक सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने कहा, “हम उनके जवाब से संतुष्ट नहीं थे। समिति ने कई विसंगतियों को उजागर किया है, जिसमें उचित रोस्टर का रखरखाव न करना भी शामिल है। कई प्रक्रियात्मक खामियां पाई गई हैं और सदस्यों के पास संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं था।”
समिति की 100 पन्नों की रिपोर्ट में कई विसंगतियों को उजागर किया गया है, जिसमें यह भी शामिल है कि शुरू में एक जेजेबी सदस्य द्वारा पारित जमानत आदेश का अन्य दो सदस्यों द्वारा समर्थन किया गया था। समिति ने कहा कि अन्य सदस्यों को समर्थन करने की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन वे जमानत आदेश को पलट सकते थे। समिति के निष्कर्षों के अनुसार, कई मेडिकल रिपोर्ट भी थीं जो अस्पष्ट थीं। पुलिस द्वारा जेजेबी के जमानत आदेश के खिलाफ जिला अदालत में याचिका दायर करने के बाद नाबालिग आरोपी को बाद में सुधार गृह भेज दिया गया।
