Pune businessman Laxman Sadhu Shinde: पुणे के 55 साल के कारोबारी लक्ष्मण साधु शिंदे को अंदाजा नहीं था कि वे शातिर गिरोहों के जाल में फंस गए हैं और गिरोह के अपराधी उनकी जान ले लेंगे। इस गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है। यह गिरोह इस साल जनवरी से लेकर अब तक सात लोगों का अपहरण कर चुका है। गिरोह ने गुजरात के राजकोट, अहमदाबाद, वडोदरा के अलावा झारखंड, बेंगलुरु और राजस्थान के व्यापारियों को भी अगवा कर उनसे पैसे वसूले। पुलिस तहकीकात कर पता लगा रही है कि गिरोह के तार कहां-कहां तक फैले हुए हैं।
पटना के एसएसपी अवकाश कुमार ने बताया कि इस गिरोह के लोग ई-मेल या कॉल के जरिए स्क्रैप और मेटल कारोबारियों को लालच देते थे और खुद को कोल इंडिया का अफसर बताकर उन्हें सस्ता माल दिलाने का वादा करते थे। गिरोह का एक शख्स रंजीत पटेल पूर्व में स्क्रैप का कारोबार कर चुका है और उसे पता है कि लोगों से कैसे बात करनी है।
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जहानाबाद में मिली शिंदे की लाश
अब आपको बताते हैं कि पुणे के कारोबारी लक्ष्मण साधु शिंदे इनके जाल में कैसे फंसे? शिंदे से भी इन लोगों ने उनकी कंपनी को सस्ते दामों पर मशीनरी और स्क्रैप दिलाने का झूठा वादा किया। शिंदे इनके लालच में आकर पटना आ गए लेकिन यहां जहानाबाद में उनकी लाश मिली।
क्या है FIR में?
शिंदे के परिवार की ओर से दर्ज कराई गई FIR में बताया गया है कि 11 अप्रैल की शाम को 5 बजे शिंदे पुणे से पटना के लिए फ्लाइट में बैठे और शाम को उन्होंने पत्नी को फोन पर बताया कि उन्हें एयरपोर्ट से ले जाने के लिए कार भेजी गई है। इसके बाद उन्होंने बताया कि वह झारखंड में कोल इंडिया जा रहे हैं।
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इसके बाद जब उनकी पत्नी ने उन्हें फोन किया तो एक आदमी ने फोन उठाया और कहा कि शिंदे बाथरुम गए हैं लेकिन इसके बाद से उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका। इस पर उनकी पत्नी ने अपने परिजनों के साथ पुणे के पुलिस थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई और फिर वे लोग पटना पहुंचे।
यहां से शिंदे की तलाश शुरू हुई और जहानाबाद में उनका शव मिला। इसके बाद पुलिस ने उस गाड़ी का पता लगाया जिसमें शिंदे हवाई अड्डे से निकले थे। इसके आधार पर पुलिस ने रंजीत पटेल उर्फ मुन्ना उर्फ शिवराज सागी का पता लगाया और इसके बाद सात लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इस मामले में नवादा, नालंदा और गया से भी गिरफ्तारियां हुई हैं। पुलिस का कहना है कि इस मामले में ज्यादातर पीड़ितों ने FIR दर्ज नहीं कराई थी और इस वजह से गिरोह के अपराधियों का हौसला बढ़ गया।
ये लोग पटना के एयरपोर्ट से पीड़ितों का अपहरण कर लेते थे और फिर हिलसा के नवाडीह ले जाकर यूपीआई या एटीएम से उनसे पैसे ट्रांसफर करवाते थे।
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