Punjab Inner Tussle: पंजाब में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में पैदा हुई तनातनी की स्थिति खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जैसे ही नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाने की सुगबुगाहट तेज हुई, वैसे ही पार्टी के सामने कैप्टन के तल्ख तेवर आ गए, परिणामस्वरुप विवाद की स्थिति जस की तस बनी हुई है। जानकार मानते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह के आंतरिक मामले जनता के सामने आने का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है, इस नुकसान का आभास पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं तक को है लेकिन फिर भी यह विवाद सुलझता हुआ नहीं दिख रहा है, ऐसे में उन संभव कारणों की विवेचना की जानी चाहिए जिनके आधार पर कैप्टन को सिद्धू की अगुवाई से परहेज है।
1- जीत और हार: कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबे समय से चली आ रही तनातनी ही मौजूदा विवाद का कारण बताया जा रहा है। दोनों ही तरफ से समय समय पर प्रहार करने में कोई कोताही नहीं बरती गई, ऐसे में अगर आज कैप्टन, सिद्धू के हाथों में प्रदेश कांग्रेस की कमान जाने देंगे तो जाहिर है इसे उनकी हार के तौर पर देखा जाएगा। जोकि कैप्टन कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
2- चुनाव से पहले रिस्क लेना नहीं चाहते कैप्टन: कैप्टन अमरिंदर ने 2017 के विधानसभा चुनावों को अपने दम पर अकेले लड़ा था। यह वह दौर था जब मोदी लहर हर राज्य में कमाल दिखा रही थी, बावजूद इसके कैप्टन ने बीजेपी-अकाली को बैकफुट पर धकेल दिया था। पिछले चुनावों के दौरान एक दो मौके पर ऐसे भी सामने आए थे जहां कैप्टन ने जमीनी स्थिति को समझते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सुझावों को खारिज कर दिया था। सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत कराया गया था। अब चुनावों से ठीक पहले पार्टी स्तर पर बदलाव का असर उन्हें नुकसान का संकेत दे रहा है। लिहाजा वह हर संभव कोशिश करेक सिद्धू को रोकना चाहते हैं।
3- करीबियों के दरकिनार होने का डर: चुनाव से ठीक पहले सिद्धू के हाथ में पार्टी की कमान आने का सीधा असर टिकट बंटवारों पर दिखाई दे सकता है। इस बात की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है कि इसमें कैप्टन के करीबियों को नुकसान होगा। और कैप्टन कभी नहीं चाहेंगे कि उनसे जुड़े लोगों को नुकसान उठाना पड़े।
4- भरोसे की कमी: कैप्टन अमरिंदर खुले तौर पर पूर्व क्रिकेटर पर टिप्पणियां कर चुके हैं। उन्होंने सिद्धू के टीवी में काम करने पर सार्वजनिक तौर पर एतराज जताया था। टीवी शोज छोड़ देने के बावजूद उन्हें कभी सत्ता में वह स्थान नहीं मिला जिसके लिए वह बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए थे। कैप्टन की बातों में आज भी सिद्धू के प्रति वह अविश्वास झलकता है।