परिसीमन आयोग ने अपनी मसविदा रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जिसे केंद्र शासित प्रदेश के पांच सहयोगी सदस्यों को उनके सुझावों के लिए सौंपा गया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों के मुताबिक, विस्तृत रिपोर्ट में जम्मू संभाग से राजौरी और पुंछ को शामिल करके अनंतनाग संसदीय सीट के पुनर्निर्धारण का प्रस्ताव किया गया है, इसके अलावा कश्मीर संभाग में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं। तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य की कई विधानसभा सीटें खत्म कर दी गई हैं। इसमें हब्बा कदल सीट भी शामिल है, जिसे प्रवासी कश्मीरी पंडितों के पारंपरिक गढ़ के रूप में देखा जाता था।
श्रीनगर जिले की खानयार, सोनवार और हजरतबल विधानसभा सीटों को छोड़कर, अन्य सभी सीटों का पुनर्निर्घारण किया गया है और चन्नापुरा तथा श्रीनगर दक्षिण की तरह नई विधानसभा सीटों के साथ विलय कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नई प्रस्तावित रिपोर्ट में हब्बा कदल के मतदाता अब कम से कम तीन विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा होंगे।
पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले बडगाम जिले का पुनर्निर्धारण किया गया और बारामूला संसदीय क्षेत्र के साथ विलय कर दिया गया, इसके अलावा कुछ क्षेत्रों को विभाजित किया गया और उत्तरी कश्मीर में कुंजर जैसी नई विधानसभा सीटों का निर्माण किया गया है। पुलवामा, त्राल और शोपियां के कुछ इलाके, जो अनंतनाग लोकसभा सीट का हिस्सा थे, अब श्रीनगर संसदीय सीट का हिस्सा होंगे।
रिपोर्ट पांच सहयोगी सदस्यों फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और अकबर लोन (नेशनल कांफ्रेंस के लोकसभा सदस्य) तथा जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर (भारतीय जनता पार्टी के सांसद) को शुक्रवार को भेजी गई हैं। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें 14 फरवरी तक अपनी राय देने को कहा गया है, जिसके बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा।
रिपोर्ट ने पिछले साल 31 दिसंबर को नेशनल कांफ्रेंस द्वारा दर्ज कराई गई आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया है। पार्टी ने जम्मू संभाग में छह विधानसभा सीटों और कश्मीर संभाग में सिर्फ एक सीट बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और राज्य निर्वाचन आयुक्त केके शर्मा के साथ उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में छह मार्च 2020 को आयोग की स्थापना की गई थी और इसे छह मार्च 2021 को एक वर्ष का विस्तार दिया गया था, जिसका कार्यकाल अगले महीने खत्म होने वाला है।
परिसीमन आयोग ने पिछले साल 18 फरवरी और 20 दिसंबर को सहयोगी सदस्यों के साथ दो बैठकें की। नेशनल कांफ्रेंस के तीन सांसदों ने जहां पहली बैठक का बहिष्कार किया, वहीं दूसरी बैठक में वे शामिल हुए थे। परिसीमन की कवायद पूरी होने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। जम्मू कश्मीर राज्य की तत्कालीन विधानसभा में, कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में चार सीटें थीं।
नेशनल कांफ्रेंस ने खारिज किया प्रस्ताव
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने शनिवार को परिसीमन आयोग के दूसरे मसविदा प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें जम्मू कश्मीर में नए निर्वाचन क्षेत्रों के गठन और अन्य के पुनर्निर्धारण का सुझाव दिया गया है।
नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा, ‘पार्टी ने चार फरवरी 2022 को परिसीमन आयोग द्वारा सहयोगी सदस्यों को उपलब्ध कराए गए मसौदा दस्तावेज को स्पष्ट तौर पर खारिज कर दिया।’ डार ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट में जो प्रस्ताव दिया गया है, उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के बाद पार्टी की विस्तृत प्रतिक्रिया दी जाएगी
इससे पहले भी, पार्टी ने आयोग के पहले मसविदा प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जिसमें जम्मू में छह विधानसभा सीटों और कश्मीर में एक विधानसभा सीट बढ़ाने का प्रस्ताव था। घाटी में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था। पार्टी ने कहा कि आयोग का गठन जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन कानून 2019 के कारण हुआ है, जो न्यायिक समीक्षा के दायरे में है और उच्चतम न्यायालय ने अभी तक अपना आदेश नहीं दिया है।
पार्टी की प्रमुख आपत्ति उस फार्मूले को लेकर है जिसे आयोग ने जनसंख्या की अवधारणा को खारिज कर अपनाया था और कहा कि जम्मू की तुलना में अधिक संख्या में लोगों के होने के बावजूद कश्मीर संभाग को केवल एक सीट मिली है।