उत्तर प्रदेश में अपनी पहली चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हीं चुनावी मुद्दों को ताजा कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की जिनके सहारे पिछले आम चुनाव में उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था। उत्तर प्रदेश में विपक्ष की दलित-मुसलिम व जाट मतदाताओं की गोलबंदी को तोड़ने की मंशा से प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र कर एक बार फिर पुराने जख्मों को हरा कर दिया। मोदी ने एक रणनीति के तहत इस बात के संकेत अपने भाषण की शुरूआत में ही दे दिए थे, जब उन्होंने किसान नेता व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को नमन करते हुए उन्हें अपना आदर्श बताया। गुरुवार को भाषण में मोदी ने कहा कि चौधरी साहब के कारण ही राजनीति में खेत-खलिहान की चर्चा होनी शुरू हुई। लेकिन आज उनकी आत्मा को यह देखकर जरूर दुख होता होगा कि जिनके लिए उन्होंने संघर्ष किया, उन्हीं किसानों को कांग्रेस, सपा-बसपा तबाह करने में जुटी है।
गत लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के भ्रष्टाचार व सरकार विरोधी लहर के चलते नरेंद्र मोदी एक प्रभावशाली नेता के रूप में उभरे थे। जनता ने उनमें एक मजबूत नेता की छवि देखी। लेकिन इस बार हालात पहले जैसे नहीं हैं। पहले चरण की जिन आठ सीटों पर चुनाव हो रहा है, वहां जातीय समीकरण पूरी तरह हावी दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री इन जातीय समीकरणों की बंदिशें कहां तक तोड़ पाते हैं, इसका पता चुनावी नतीजों से ही चलेगा। इन आठ सीटों पर प्रधानमंत्री ने प्रचार की शुरूआत भी कर दी है। लेकिन अभी कांग्रेस व सपा-बसपा, रालोद का प्रचार शुरू होना बाकी है। हालांकि, प्रधानमंत्री ने सपा, रालोद व बसपा को शराब करार देते हुए इसे न केवल सेहत के लिए खतरनाक बताया है बल्कि इस मिलावटी शराब से दूर रहने की सलाह भी दी है। प्रदेश में महागठबंधन की चुनौती को देखते हुए प्रधानमंत्री पूरी तैयारी के साथ प्रचार के लिए विजय संकल्प रैली में पहुंचे थे। इसी के मद्देनजर उन्होंने महामिलावट शब्द का इस्तेमाल कई बार किया। बहन जी को गेस्ट हाऊस कांड की याद भी दिलाई। साथ ही यह भी कहा कि पहले हमने दो लड़कों का खेल देखा, अब बुआ-बबुआ का मेल देख रहे हैं।
महागठबंधन का प्रचार अभी शुरू नहीं हुआ है लेकिन रालोद मुखिया अजित सिंह लगातार आरोप लगा रहे हैं कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद भाजपा ध्रुवीकरण के कारण सत्ता में आई थी। लेकिन अब जनता भाजपा के खेल को समझ चुकी है। यही जनता अब भाजपा को सत्ता से बेदखल करेगी। महागठबंधन के इन आरोपों के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ व हापुड़ का जिक्र करते हुए गुंडाराज खत्म करने व बहू-बेटियों का सम्मान बचाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की योगी सरकार ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया है। इस मामले में उन्होंने योगी सरकार की पीठ भी थपथपाई। मोदी ने सपा सरकार के दौरान हुए दंगों के दंश को भी याद दिलाया। उन्होंने कहा कि दंगों के दौरान युवाओं को फंसाकर उन्हें कोर्ट कचहरी के चक्कर लगवाए गए। लेकिन योगी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के पुलिस में युवाओं की भर्ती का काम किया है। भीड़ के लिहाज से प्रधानमंत्री की चुनावी सभा को औसत आंका जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनावों का वो जोश भी नहीं दिखा और इस बार भीड़ से मोदी-मोदी की वह गूंज भी सुनाई नहीं दी। इस बार ‘मैं भी चौकीदार हूं’ के नारे जरूर सुनाई दिए लेकिन इसके बावजूद प्रधानमंत्री जिस तैयारी के साथ आए थे वो वह संदेश पहुंचाने में कामयाब रहे। रैली से बाहर आते हुए युवा इस बात से जबरदस्त उत्साह में थे कि मोदी ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। राष्ट्रवाद और ध्रुवीकरण पिछले चुनावों की तरह इस बार भी है।