करीब 20 महीने तक परेशानी झेल रहे धनबाद और चंद्रपुरा के बीच रहनेवाले लोग अब खुश हैं। दरअसल धनबाद-चंद्रपुरा (डीसी) रेल लाइन पर 24 फरवरी से ट्रेन सेवा फिर से शुरू होने जा रही है। बता दें कि गिरिडीह-धनबाद के सांसद एवं विधायक एलेप्पी एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर यहां से रवाना करेंगे। इसके साथ ही इस रूट पर 8 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि इस रेल लाइन को यह कहकर बंद कर दिया गया था कि भूमिगत कोयला खदान की आग रेलवे ट्रैक के बेहद करीब पहुंच चुका है और यह जान-माल के लिए खतरा है। हांलाकि अब रेलवे के अधिकारी ही इस रेल लाइन को ट्रेनों के आवागमन के लिए सुरक्षित बता रहे हैं।
दिसंबर 2018 में डीसी लाइन दोबारा चालू करने को लेकर हुई बैठक : कतरासगढ़ से निचितपुर लिंक लाइन को चालू करने की सरकार ने 24 दिसंबर, 2018 को पहली बार पहल की। 28 दिसंबर को भी बैठक हुई। डीजीएमएस की रिपोर्ट खुली। इसमें कतरासगढ़ से निचितपुर रूट में आग से खतरे की कोई बात नहीं थी। सिर्फ बसेरिया, अंगारपथरा, तेतुलिया में ही आग का खतरा था। 34 किलोमीटर लंबे धनबाद-कतरासगढ़ रेल रूट के बीच स्थित ये तीनों स्टेशन 4 किलोमीटर के दायरे में ही हैं। इसके बाद कतरासगढ़-निचितपुर लिंक लाइन से गोमो के रास्ते रांची के लिए ट्रेन चलाने की योजना बनी। घोषणा हुई कि 5 जनवरी, 2019 से इस लाइन को खोल दिया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रेन को हरी झंडी दिखाने वाले थे, लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो सका।
गिरिडीह सांसद ने भी लगाया जोर: जनवरी 2019 में गिरिडीह सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने श्रम मंत्री संतोष गंगवार की उपस्थिति में डीजीएमएस, रेलवे, बीसीसीएल, सिंफर आदि के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। डीसी लाइन की जांच कराने के आदेश दिए। इसके बाद रेलवे सेफ्टी बोर्ड के अधिकारी की निगरानी में 23 जनवरी को धनबाद से सोनारडीह तक रेल लाइन की तकनीकी जांच की गई। इंजन चलाकर ट्रायल किया। फिर 7 बोगी वाली विंडो ट्रेन का भी ट्रायल किया। इसके बाद रेलवे बोर्ड के अधिकारी ने इस रेल लाइन को ट्रेन चलाने के लिए पूरी तरह सुरक्षित बताया। इसी रिपोर्ट के आधार पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने चार फरवरी, 2019 को घोषणा की कि 11 फरवरी से डीसी लाइन पर मालगाड़ी और 15 फरवरी से ट्रेन चलने लगेगी। इसके बाद धनबाद रेल मंडल ने डीसी लाइन पर रेल पटरी, डायमंड क्रॉसिंग, सिग्नल को दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया। तय समय सीमा में काम पूरा नहीं हो सका, तो 24 फरवरी की नयी तारीख तय हुई। धनबाद के डीआरएम अनिल कुमार मिश्रा ने कहा कि आंदोलन का केंद्र रहे कतरासगढ़ में एक भव्य समारोह का आयोजन होगा।
रेल लाइन को बंद करने की पूरी कहानी: गौरतलब है कि 13 फरवरी, 2017 को डीजीएमएस के डीजी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। इसमें रेलवे प्रतिनिधि, सिंफर, आइआइटी (आइएसएम, धनबाद), बीसीसीएल और जेआरडीए के प्रतिनिधि शामिल थे। इसी बैठक में धनबाद-चंद्रपुरा (डीसी) रेल लाइन को बंद करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद 22 मई, 2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव एन मिश्रा की अध्यक्षता में डीसी लाइन को लेकर बैठक हुई और इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन बंद करने का अंतिम निर्णय ले लिया गया। पीएमओ में हुई बैठक के बाद रेलवे बोर्ड ने डीसी लाइन पर ट्रेनों का परिचालन 15 जून, 2017 से बंद करने का आदेश जारी कर दिया।
रेल लाइन बंद होने से एक दिन पहले शुरू हुआ आंदोलन: 14 जून 2017 की आधी रात को डीसी लाइन बंद होते ही कतरास के लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक ओपी लाल ने 16 जून को कोलकाता-दिल्ली रेलमार्ग को निचितपुर हॉल्ट पर राजधानी सहित अन्य ट्रेनों को रोकने का एलान कर दिया। कतरासवासियों के साथ श्री लाल निचितपुर हॉल्ट गए। पुलिस ने उन्हें समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर लिया। इससे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। सैकड़ों युवकों ने निचितपुर हॉल्ट से पहले गौशाला पुल के निकट पत्थरबाजी कर दी। एलेप्पी एक्सप्रेस को रोक दिया। पथराव में कई यात्री घायल हो गये। ट्रेन के शीशे टूट गए। मालगाड़ी को भी रोक दिया। पूरा कतरास कोयलांचल रेलबंदी की आग में जलने लगा।
604 दिन से दे रहे हैं महाधरना: एक जुलाई, 2017 से कतरासगढ़ स्टेशन रोड पर पूर्व विधायक ओपी लाल, पूर्व विधायक समरेश सिंह, पूर्व बियाडा अध्यक्ष विजय कुमार झा की अगुवाई में ‘रेल दो या जेल दो’ के बैनर तले कतरास वार्ड संख्या-1 के पार्षद विनोद गोस्वामी के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन महाधरना शुरू हुआ। 23 फरवरी, 2019 को इस महाधरना के 604 दिन हो गये। ट्रेनों का परिचालन शुरू होने के बावजूद यह महाधरना जारी रहेगा। इनका कहना है कि जब तक सभी 26 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं हो जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा। पूर्व विधायक ओपी लाल ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। कहा कि डीसी रेल लाइन के नीचे स्थित उच्चतम गुणवत्ता के कोयले पर बीसीसीएल की नजर है। कॉर्पोरेट घरानों को कोयला खनन का ठेका देने के लिए रेल लाइन को बंद करने की साजिश रची गई है।
रेल लाइन बंद करने के लिए दी थी यह दलील: भारतीय रेलवे बोर्ड ने 15 जून से ट्रेनों का परिचालन बंद करने का आदेश जारी करते हुए कहा था कि कोयला खनन के कारण भूमिगत आग रेल पटरियों तक आ गई है। तत्कालीन डीजीएमएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि डीसी रेल लाइन के बसेरिया, बांसजोड़ा, अंगारपथरा, तेतुलिया हॉल्ट तक रेल पटरी के नीचे आग पहुंच चुकी है। इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन बड़े खतरे को आमंत्रण दे सकता है।
डीजीएमएस ने की थी यह सिफारिश: झरिया मास्टर प्लान को लेकर कोयला सचिव की अध्यक्षता में गठित हाइ पावर सेंट्रल कमेटी ने एक रिपोर्ट दी थी। इसमें कहा था कि धनबाद-चंद्रपुरा रेलवे मार्ग को चालू रखना खतरे से खाली नहीं है। इसके नीचे भूमिगत खदानें हैं, जो कि आग, गोफ व भू-धंसान की चपेट में हैं। इस वजह से मानव जीवन की रक्षा के लिए तत्काल इस रेलवे लाइन को बंद कर देना चाहिए।
74 ट्रेनें चलती थीं डीसी लाइन पर: डीसी लाइन 34 किलोमीटर लंबी है। इसमें छह स्टेशन व सात हॉल्ट हैं। आठ कोल साइडिंग हैं। 14 किमी क्षेत्र में आग फैल चुकी है। रेलवे ट्रैक के निकट आ गई है। इसी को लेकर डीजीएमएस ने कोल मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी और रेलवे बोर्ड ने 15 जून से इस मार्ग को बंद करने का निर्णय लिया। इस मार्ग पर यात्री ट्रेनों के अलावा 20 मालगाड़ी सहित 74 ट्रेन चला करती थी।
अरबों रुपये का रेलवे को हुआ नुकसान: डीसी लाइन से प्रतिदिन साढ़े नौ रैक कोयला लोड होता था। इससे सालाना करीब 2500 करोड़ रुपये रेलवे को मिलते थे। यात्री किराया से करीब 125 करोड़ रुपए मिलते थे। बीसीसीएल के 13 मिलियन टन एवं इसीएल के 12 मिलियन टन कोयले की ढुलाई होती थी।
अटल सरकार ने बंद कर दिया था धनबाद-झरिया रेल मार्ग : वर्ष 2001-02 में धनबाद-झरिया रेल मार्ग को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ, लेकिन रेल लाइन को बंद होने से रोका नहीं जा सका।