उत्तर प्रदेश में राज्य सभा चुनावों में निर्दलीय के रूप में उतरीं प्रीति महापात्रा के नामाकंन दाखिल करने के दौरान भी काफी ड्रामा हुआ। नामाकंन के दौरान पीस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक डॉक्टर अयूब ने प्रस्तावक बनने से इनकार कर दिया। उन्होंने महापात्रा से समर्थन वापस ले लिया। अयूब नामाकंन पत्रों को साइन कर चुके थे और 10 प्रस्तावक विधायकों में से एक थे।
उन्होंने कहा कि वह एक निर्दलीय विधायक का समर्थन कर रहे थे लेकिन उन्हें पता नहीं था कि भाजपा भी उनका साथ दे रही है। आखिरकार महापात्रा को नए नामाकंन दस्तावेज देने पड़े। इनमें अयूब का नाम नहीं था।
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अयूब के करीबी सूत्रों ने बताया कि मुस्लिम मतों को बरकरार रखने के लिए अयूब ने यह फैसला किया। अयूब को डर था कि ऐसा न करने और भाजपा समर्थित उम्मीदवार का साथ देने पर पर उनका वोट बैंक सपा या बसपा के पास चला जाएगा। प्रीति महापात्रा गुजरात से हैं और भाजपा आलाकमान की करीबी हैं। वे खुद भी स्वीकार करती हैं कि वे पीएम मोदी से प्रभावित हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि उनका भाजपा से संबंध नहीं हैं।
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