Bihar Politics: बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सियासत गरमाई हुई है। भाजपा और जदयू-राजद के बीच जुबानी जंग जारी है। इस बीच, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दी है। प्रशांत किशोर ने कहा कि वे पूरे घटनाक्रम को पिछले 10 सालों से चल रही राजनीतिक अस्थिरता और उसमें हो रहे प्रयोगों के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये पिछले 10 सालों में 6वां मौका है जब राजनीतिक जुगलबंदी हुई है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि वे आशा करते हैं कि यह सरकार स्थिरता प्रदान करे और बिहार के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरे। प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश के साथ भाजपा का या राजद का जाना कोई मजबूरी नहीं है। ये आपसी समझदारी है और सोची-समझी रणनीति है। हालांकि, प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की राजनीतिक अस्थिरता में आने वाले समय में जल्दी स्थिरता दिखाई देगी, ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।
2017 में भाजपा के साथ जाने और पांच सालों के बाद इस गठबंधन से नीतीश कुमार के अलग हो जाने और फिर से राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने के पीछे कारणों पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि इस गठबंधन में वह सहज नहीं लगे। जो तालमेल 2005 से लेकर 2012 तक जदयू और भाजपा के बीच था, वैसा तालमेल 2017 से 2022 तक नहीं नजर आया।
2005 के मुकाबले क्या फर्क आया?
चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि 2005 में भी भाजपा की जदयू से अधिक सीटें थीं लेकिन असहजता व्यक्तिगत भी है। उन्होंने कहा, “जो भाजपा और जदयू अभी हैं और जो दोनों दल पहले थे, उनके फर्क भी है, नेताओं में फर्क है। भाजपा 2005 में सत्ता में नहीं थी और देश की सबसे बड़ी पार्टी है और देश में सत्ता में है। अपने सहयोगियों के साथ वह कैसा बर्ताव करते हैं और उनके कार्यकर्ताओं की क्या अपेक्षाएं हैं ये सब 2005 से काफी अलग है। इस तरह से 2005 से 2012 तक जो तालमेल दिखता था वह तालमेल भाजपा-जदयू के बीच 2017-22 में नहीं नजर आया।