केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद से भड़की हिंसा उग्र होती जा रही है। जिसका प्रभाव पूरे केरल पर देखने को मिल रहा है। हाल ही में इस कड़ी में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें आरएसएस प्रचारक नेदुमंगद पुलिस स्टेशन पर बम से हमला कर रहा है। जानकारी के मुताबिक इस हमले में करीब 5 लोग घायल हुए थे। करीब एक मिनट के इस फुटेज में शख्स पुलिस स्टेशन पर बम फेंकता नजर आ रहा है। वहीं उसके साथ में कुछ और लोग भी वीडियो में नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार आरएसएस कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है। जिसमें नूरानंद प्रवीण का भी नाम शामिल है।

भाजपा सांसद मुरलीधरन के घर फेंके गए देशी बम: भाजपा सांसद वी मुरलीधरन का कहना है कि उनके घर पर भी आधी रात को देशी बम से हमला किया गया। हालांकि इस हमले में कोई भी घायल नहीं हुआ। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार पर हमले करते हुए कहा कि ये सब कुछ प्रदेश में और अधिक हिंसा भड़काने और भाजपा को उकसाने के लिए किया जा रहा है। प्रदेश सरकार चाहती है कि ये मुद्दा बीजेपी और सीपीएम का बन जाए।

1369 लोग गिरफ्तार: बता दें कि पिछले दो दिनों से शुक्रवार सुबह तक महिला के प्रवेश को लेकर हुए हड़ताली हिंसा के आरोप में 1369 लोगों को गिरफ्तार और 717 को एहतियातन हिरासत में लिया गया है। वहीं 801 के खिलाफ मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

सुबह किया मंदिर में प्रवेश: जानकारी के मुताबिक, दोनों महिलाओं ने 1 जनवरी आधी रात में मंदिर की चढ़ाई शुरू की थी और वे 2 जनवरी सुबह करीब 3:45 बजे मंदिर में पहुंच गईं। इसके बाद उन्होंने भगवान अय्यपा के दर्शन किए और लौट गईं। महिलाओं का नाम बिंदू और कनकदुर्गा बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि ये महिलाएं पुलिस की टुकड़ी के साथ थीं। एएनआई ने इसका एक वीडियो भी जारी किया है। जिसके मुताबिक महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया।

24 दिसंबर- 11 महिलाएं: गौरतलब है कि इससे पहले 24 दिसंबर के आस पास भी सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए तमिलनाडु की 11 महिलाओं के एक समूह को प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने की वजह से यात्रा छोड़नी पड़ी थी।

 

सुप्रीम कोर्ट दे चुका है फैसला: बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला दिया था। जिसके बाद से ही सबरीमाला में लगातार इस फैसले का विरोध किया जा रहा है और प्रदर्शन भी जारी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये फैसला धार्मिक परंपरा के खिलाफ है।