लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में सियासी पारा बढ़ गया है। पीएम मोदी की शरद पवार और उद्धव ठाकरे को एक बार फिर अपने पुराने रूप में आकर एनडीए से मिलने की सलाह के बाद राजनीतिक बयानबाजी चल पड़ी है। 

एनसीपी चीफ शरद पवार ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में कहा था कि आने वाले कुछ सालों में कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे।– उनके इस बयान के जावाब में ही पीएम ने ये सलाह दी है। जिसकी काफी चर्चा है।

पीएम ने क्या कहा था?  

शरद पवार के बयान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने पिछले शुक्रवार को नंदुरबार कहा था कि ‘नकली एनसीपी और शिवसेना’ ने चार जून के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस में विलय करने का मन बना लिया है लेकिन उन्हें इसके बजाय अजित पवार और एकनाथ शिंदे  के साथ मिल जाना चाहिए।

पीएम ने कहा था,”चार दिन बाद कांग्रेस में जाकर मरने की बजाए सीना तान करके हमारे अजीत दादा और शिंदे जी के साथ आओ, आपके सभी सपने पूरे हो जाएंगे।” कांग्रेस के अलावा शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। 

पीएम मोदी की इस ‘सलाह’ के क्या मायने? 

अब सवाल यह है कि पीएम मोदी की इस सलाह के मायने क्या हैं? इसपर बोलते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “मोदी ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो अचानक से कोई टिप्पणी करते हैं। उनका हर बयान सोच-समझकर और निश्चित कारणों के साथ दिया गया होता है।”

कुछ राज्य भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का मानना ​​है कि मोदी का पवार और उद्धव को एनडीए में शामिल होने का निमंत्रण उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम पैदा करने की एक राजनीतिक रणनीति है।

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, “पीएम मोदी के बयान की गलत व्याख्या नहीं की जानी चाहिए। यह कोई ऑफर नहीं बल्कि सिर्फ एक सलाह दी गई है। शरद पवार और उद्धव ठाकरे दोनों डूबती नाव में हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा।”

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने कहा, ‘पीएम मोदी का बयान शरद पवार की उस टिप्पणी के जवाब में था जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस में विलय करेंगी. तो पीएम ने कहा, ‘कांग्रेस क्यों? इसके बजाय, अपनी असली एनसीपी और शिवसेना में लौट आएं।’

बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि भाजपा हमेशा विस्तार में विश्वास करती है। अगर कोई मोदी के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए हमारे साथ जुड़ना चाहता है, तो दरवाजा बंद करने का कोई कारण नहीं है।” कुछ बीजेपी नेताओं का मानना है कि मोदी का “नरम इशारा” करके पवार और उद्धव ठाकरे को एनडीए में शामिल होने का आग्रह करना उनके प्रति जनता की सहानुभूति को बेअसर करने की कोशिश थी।