झारखंड में गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ जमशेदपुर के एक व्यक्ति ने झारखंड उच्च न्यायालय में उनकी डिग्री की जांच को लेकर जनहित याचिका दायर की है। जमशेदपुर के दानिश नामक व्यक्ति ने निशिकांत दुबे की डिग्री पर सवाल उठाते हुए उनकी एमबीए की डिग्री की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि सीबीआई को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।
याचिकाकर्ता ने भारत के निर्वाचन आयोग से निशिकांत दुबे की लोकसभा सदस्यता तत्काल निरस्त करने की भी मांग की है। याचिकाकर्ता के अनुसार निशिकांत दुबे ने वर्ष 2009, वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग को जो हलफनामा दिया है उसमें बताया है कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए की डिग्री भी ली है। याचिका में दावा किया गया है कि पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा एक आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि निशिकांत दुबे नाम के किसी भी व्यक्ति ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट की डिग्री नहीं ली है।
इधर एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा सचिवालय की विशेषाधिकार समिति द्वारा देवघर के पुलिस अधीक्षक को झारखंड से भाजपा के एक सांसद की शिकायत पर समिति के समक्ष पेश होने के लिए जारी समन पर सोमवार को रोक लगा दी। मामले में निशिकांत दुबे ने विशेषाधिकार समिति में शिकायत दर्ज कर दावा किया है कि झामुमो नीत झारखंड सरकार के कुछ अधिकारियों ने कथित तौर पर उन्हें और उनके परिजनों को झूठे आपराधिक मामलों में फंसाकर बदनाम करने की साजिश रची।
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न्यायमूर्ति एल एन राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने झारखंड के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक एम वी राव की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया। राव ने लोकसभा सचिवालय की विशेषाधिकार समिति को दुबे की शिकायत पर कथित विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही से संबंधित रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
याचिका में शीर्ष अदालत से लोकसभा की विशेषाधिकार समिति की शिकायत पर विचार करने और देवघर के पुलिस अधीक्षक को आठ सितंबर को मौखिक साक्ष्यों के लिए समिति के समक्ष पेश होने का निर्देश देने की कार्रवाई को अवैध और असंवैधानिक करार देने का भी अनुरोध किया। शीर्ष अदालत ने लोकसभा सचिवालय (विशेषाधिकार और आचार शाखा), विशेषाधिकार समिति और दुबे को नोटिस जारी कर याचिका पर उनके जवाब मांगे हैं। पीठ में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता भी हैं। पीठ ने आदेश में कहा, ‘नोटिस जारी किया जाए और चार सप्ताह में जवाब मांगा जाए।’

