भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच जहां केंद्र सरकार पिछले साल के दृश्य दोहराने की कोशिशों से बचती नजर आ रही है, वहीं आम लोग अब भी महामारी से बचने के लिए सामान्य एहतियात तक नहीं बरत रहे हैं। महाराष्ट्र में लगे जनता कर्फ्यू के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर ट्रेनों के जरिए अपने घर लौट रहे हैं। कोरोना को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने स्टेशनों पर टेस्टिंग का भी इंतजाम किया है, इसके बावजूद बक्सर के रेलवे स्टेशन पर तो ट्रेन से उतरा कोई भी व्यक्ति जांच कराने के लिए तैयार नहीं दिखा। बड़ी संख्या में लोग टेस्टिंग के डर से स्टेशन से बाहर भागते दिखे।
इस भयावह स्थिति का एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि ट्रेन से उतरते ही भागने वाले कुछ लोग तो बिना मास्क के दिखाई दिए। इस दौरान न तो किसी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और न ही अफसरों की बात सुनी। इनमें से ज्यादातर लोग तो इसलिए भागते दिखे, ताकि जांच के बाद कहीं क्वारैंटाइन में न भेज दिया जाए।
यह दृश्य कल रात बक्सर स्टेशन का हैं और ये यात्री पुणे -पटना से उतरे हैं और कोरोना जाँच ना कराना पड़े इसलिए भाग रहे हैं @ndtvindia @Anurag_Dwary @suparba pic.twitter.com/cWxDDoP26X
— manish (@manishndtv) April 16, 2021
इस घटना पर सोशल मीडिया पर भी लोगों ने प्रतिक्रिया दी। आयुष जयसवाल ने ट्विटर पर लिखा, “वजह है कि, इन जैसे लोग आज भी खौफ मे है, कि अगर आ गया तो किसी नरक व्यवस्था वाली सरकारी इमारत में इन्हें जबरदस्ती बंद कर दिया जाएगा।”
वहीं, राजेश श्रीवास्तव नाम के यूजर ने कहा, “इन यात्रियों की जगह मैं होता तो मैं भी यही करता। आपने इन्फ्रास्ट्रक्चर देखा, जहां हजारों यात्रियों को टेस्ट करने के लिए एक छोटा सा काउंटर और तीन-चार लोग मौजूद है। 24 घंटे के सफर के बाद अगर वे लोगों को लाइन में खड़े होकर कोरोना टेस्ट कराने की उम्मीद करते हैं तो इसका मतलब है कि तैयारी करने वालों को कुछ नहीं पता।”
well i would have done the same. did you see the infrastructure to trst 1000s passengers 3-4 people and a small counter. after 24 hours journey, if they expect people to stand in an unlimited queue to get themselves tested, either the planners know nothing
— Rajesh Srivastava (@RajeshS42225949) April 16, 2021
एक और यूजर ने रतन कुमार गुप्ता ने कहा, “ये वीडियो दिखाता है कि कोरोनावायरस से ज्यादा भय तो लोगों में इसकी जांच करवाने लगवाने वैक्सीन लगवाने वालों में है कि कहीं उन्हें क्वारैंटाइन न कर दिए जाए। इन भोले-भाले लोगों को कौन समझाए कि कोरोना की जाँच और सही समय पर इलाज हो जाने से इनकी और इनके परिवार दोनों की जान बच सकती है।”
ट्विटर पर परम बरार ने प्रवासी मजदूरों का पक्ष लेते हुए लिखा, “और क्या करे?? ये वर्क फ्राम होम वाले नही है जो कुकींग विङीयो इंटरनेट पर ङाल कर टाईम पास करतें है ,इनकी रोजी रोटी छीनकर अब ये दोष भी गरीबो पर लगाओ की कोरोना ये फैलाते है ,कोई ये पूछ रहा है की 6 महीने से कोरोना कहां था और वैक्सीन आते ही एकदम से कैसे आ गया ??”