हिमांशु हर्ष
पटना नगर निगम (PMC) की एक नियमित बैठक 11 जुलाई को उस वक्त हंगामे का केंद्र बन गई, जब मेयर सीता साहू के बेटे शिशिर कुमार और विपक्षी पार्षदों के बीच तीखी बहस ने हाथापाई का रूप ले लिया। बैठक का माहौल उस समय और अधिक तनावपूर्ण हो गया जब शिशिर कथित तौर पर बाउंसरों के साथ वहां पहुंचे। इस घटना के बाद से शिशिर फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश कर रही है।
बैठक मेयर सीता साहू द्वारा बुलाई गई थी, जिसमें कुछ “विवादास्पद” परियोजना प्रस्तावों को पारित करने की कोशिश की जा रही थी। नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पाराशर ने इन प्रस्तावों पर आपत्ति जताई और बैठक का बहिष्कार कर बाहर चले गए। उनका आरोप था कि ये प्रस्ताव निजी हितों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाए गए हैं, जिन पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है।
मेयर के आरोपी बेटे पीएमसी के सदस्य नहीं है
आयुक्त के बाहर जाते ही बैठक में हंगामा शुरू हो गया। इसी दौरान शिशिर कुमार अपने सुरक्षा गार्डों के साथ पहुंचे और पूर्व उपमहापौर विनय कुमार से बहस करने लगे, जो आगे चलकर हाथापाई में बदल गई। विपक्षी पार्षदों ने शिशिर की उपस्थिति पर आपत्ति जताई, क्योंकि वे पीएमसी के अधिकृत सदस्य नहीं हैं। झगड़े में मेयर साहू के विरोधी पार्षद भी शामिल हो गए।
इस घटना के बाद आयुक्त पाराशर ने जिला मजिस्ट्रेट त्यागराजन एस.एम. से अपील की कि शिशिर को निगम की बैठकों में शामिल होने से रोका जाए। पुलिस का कहना है कि शिशिर के खिलाफ हत्या के प्रयास और धमकी समेत गंभीर आरोपों के कम से कम चार मामले दर्ज हैं। वह स्वयं को भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़ा बताते हैं।
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मेयर साहू के विरोधियों का आरोप है कि उनका बेटा नगर निगम के संचालन में “रिमोट कंट्रोल” की भूमिका निभा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब शिशिर सशस्त्र गार्डों के साथ बैठक में पहुंचे हों या कामकाज में हस्तक्षेप किया हो। विरोधी पार्षदों ने जिलाधिकारी और नगर आयुक्त को पत्र लिखकर उनकी उपस्थिति पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
सूत्रों के अनुसार, शिशिर आगामी विधानसभा चुनाव में पटना से उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं और यह विवाद उनकी राजनीतिक पहचान बनाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। गौरतलब है कि पटना नगर निगम में कुल 75 पार्षद हैं, जो किसी दल से औपचारिक रूप से संबद्ध नहीं होते क्योंकि चुनाव दलीय आधार पर नहीं होते।
घटना के दो दिन बाद, मंगलवार को शिशिर ने एक वीडियो जारी कर खुद को “महापौर का प्रतिनिधि” और “राज्य भाजपा कार्यसमिति का सदस्य” बताया। वीडियो में उन्होंने दावा किया, “महापौर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ा है और दोषी अधिकारियों को राज्य में नहीं रहने दिया जाएगा। मैं पुलिस जांच में सहयोग करूंगा और किसी के सामने झुकूंगा नहीं।”
भाजपा से जब शिशिर के इन दावों पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो पार्टी ने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया। भाजपा प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा, “किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले सभी पक्षों को सुना जाना चाहिए। निष्पक्ष सुनवाई का यही आधार है।” वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन गुप्ता ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पूरा बिहार जानता है कि शिशिर भाजपा से जुड़े हैं। वह वीडियो में कह रहे हैं कि वह पटना में हैं, तो फिर पुलिस उन्हें गिरफ़्तार क्यों नहीं कर पा रही? यह राज्य की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।”
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कार्तिकेय शर्मा ने किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि 13 जुलाई को शिशिर को पकड़ने के लिए मेयर साहू के महाराजगंज स्थित आवास पर छापा मारा गया था। हालांकि, इस कार्रवाई के बाद मेयर साहू के समर्थकों ने नगर आयुक्त के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनके पुतले जलाए। इसे उन्होंने “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया। एसएसपी ने कहा, “मेयर ने सहयोग नहीं किया। अब उनसे पूछताछ की जाएगी और मामले की जांच आगे बढ़ाई जा रही है।”