Delhi News: भारतीय रेलवे द्वारा शुक्रवार (14 अक्टूबर) को उत्तर पश्चिमी दिल्ली की शकूर बस्ती में 70 से 80 घरों को ध्वस्त कर दिया गया। जिसके बाद बस्ती में रहने वाले निवासियों ने आरोप लगाया कि उन्हें कार्रवाई के बारे में सूचित नहीं किया गया था और ना ही कोई नोटिस दिया गया था।

रेलवे ट्रैक के पास बस्ती के प्रधान वीरेंद्र कोहली ने कहा, “उन्होंने हमें पहले कोई सूचना नहीं दी और आज सीधे बुलडोजर ले आए। करीब 70 से 80 झुग्गियों को तोड़ा गया। इन झुग्गियों में लगभग 300 से 350 लोग रहते होंगे। दीवारें सब टूट चुकी थीं। रेलवे, दिल्ली पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी सुबह करीब 10 बजे आए और शाम करीब पांच बजे तक तोड़फोड़ की गई।”

हालांकि, उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, “अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर रेलवे द्वारा सिविल पुलिस और आरपीएफ की मौजूदगी में तोड़फोड़ की गई और आगामी परियोजनाओं के मद्देनजर लगभग 22,000 वर्गमीटर भूमि को साफ कर दिया गया है।”

सुबह आए और झुग्गी खाली करने के लिए कहा: वहीं, दूसरी ओर अधिकारियों के जाने के बाद निवासी अपने घरों के अवशेषों को घूरते रहे। झुग्गी में रहने वाली राधा रानी ने कहा, “वे सुबह आए और हमें अपना सामान लेने और खाली करने के लिए कहा। हम जो थोड़ा बचा सकते थे, हमने किया। हमारा बाकी सब कुछ नष्ट हो गया। हमारा बिस्तर नष्ट हो गया। इन्होंने हमें बुरे हालात में छोड़ दिया है। झुग्गी में हम सात लोग रहते थे। मेरी दो बेटियां और एक बहू है। अब हम कहां जाएंगे? हम किराए का भुगतान कैसे करेंगे?”

रानी एक घरेलू कामगार के रूप में काम करती है, जबकि उनके बेटे दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्होंने कहा, “हमारा ईंट की दीवारों वाला पक्का घर था जिसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। पूरा साफ किया। मशीन लाने के बाद कुछ भी नहीं बचा है। फर्श भी खोदा गया था।”

नहीं मिला था कोई नोटिस: झुग्गी की एक अन्य निवासी गुड्डी ने कहा, “जब मैंने ध्वस्तीकरण के बारे में सुना तो मैंने कुछ नोटिस देखने की कोशिश की। मुझे कुछ नहीं मिला। मैंने सोचा था कि हमेशा की तरह ये भी ध्वस्तीकरण के बारे में कुछ कहेंगे और ऐसा नहीं करेंगे। फिर वे सुबह इसे गिराने आए। हम समय रहते अपनी कुछ चीजों को निकालने में कामयाब रहे। बाकी हमने खो दिया। हम अब क्या कर सकते हैं?”