शायद ही किसी त्योहार पर वे अपने परिवार के साथ घूमते नजर आते हों। बेदिल को एक पुलिस निरीक्षक ने बताया कि उनकी ड्यूटी दीपावली ही नहीं बल्कि करीब सभी त्योहारों पर सड़क पर ही रहती है। ऐसा कम ही होता है कि किसी पर्व पर वह परिवार के साथ सुकून से समय बिता सकें और त्योहार का आनंद ले सकें। हां लेकिन ऐसा न हो सकने पर भी यह संतोष जरूर रहता है कि उनकी तैनाती की वजह से लोग सुरक्षित माहौल में त्योहार मना पाते हैं।
भीड़ बनी आफत
कोरोना की धीमी रफ्तार के बाद दीपावली पर उमड़ी भीड़ ने व्यापारी संगठनों के होश उड़ा दिए, जो व्यापारी नेता कोरोना के समय में प्रशासन के साथ मिलकर खरीदारों की भीड़ को नियंत्रित करने का दावा करते थे, वही भीड़ से सामना पड़ते ही हाथ खड़े कर दिए। बीते दिनों बाजारों में आई बेतरतीब भीड़ से व्यापारिक संगठन चिंता में पड़ते दिखे।
व्यापारियों के एक बड़े संगठन ने तो दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को पत्र तक लिख सहायता की मांग कर डाली। वे बाजारों में पुलिस बल की पर्याप्त मौजूदगी का राग अलापने लगे। इतना ही नहीं एक नेता ने तो अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों की तैनाती तक की मांग कर डाली! वे सदर बाजार और सरोजिनी नगर मार्केट में रोजाना एक लाख से अधिक लोगों के आने और खुद से नहीं संभलने वाला वाकया बताने लगे! किसी ने ठीक ही कहा जब लोग कम थे तो बाजार संगठन के नेता ऐसे बयान जारी करते थे मानों वे ही सारी व्यवस्था ठीक ठाक करते हैं, लेकिन जब असली परीक्षा आई तो हाथ खड़े कर दिए।
सकते में ‘आप’
इस साल भी दीपावली के मौके पर सरकार ने राजधानी में पटाखा फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसको लेकर सत्ता पर काबिज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में हैं। हालांकि, नेता और कार्यकर्ता दबे जुबान मान रहे हैं कि इस फैसले का सही तरीके से पालन कर पाना आसान नहीं है। भले ही सरकार की ओर से जुर्माना के अलावा सजा का भी प्रावधान किया गया है, लेकिन कार्यकर्ता भी मान रहे हैं कि खुद के बच्चों को रोक पाना आसान नहीं हैं।
यदि किसी ने बच्चे को या फिर किसी कार्यकर्ताओं को फोड़ते हुए देख लिया और सोशल मीडिया पर वीडियो डाल दिया तो किस मुंह से विरोधियों को जवाब दे पाएंगे। बीते दिनों ही एक ऐसा ही वाकया घटा, जब एक मंत्री के इस्तीफा मंजूर होने के बाद दूसरे को नियुक्त किया गया तो उनके समर्थकों ने जमकर आतीशबाजी की, जिसके बाद विरोधियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। इसको लेकर पार्टी के नेताओं को जवाब देना भारी पड़ गया। अब दीपावली के दिन नेता और कार्यकर्ता सरकार के निर्देशों का पालन करें या फिर दीपावली का त्योहार मनाएं। इसको लेकर सकते में हैं ‘आप’ के कार्यकर्ता और नेता।
आम हुए खास
वायु प्रदूषण को लेकर एक अक्तूबर से लागू हुए ग्रेप संबंधी प्रतिबंधों के चलते निगरानी करने वाले कई सरकारी महकमों की इन दिनों खासी पूछ बढ़ गई है। केवल उद्यमी ही नहीं बल्कि आम आदमी तक उल्लंघन करने के लपेटे में आ सकता है, इसे मानते हुए जहां इन महकमों के कर्मी अपनी खास अहमियत महसूस करने लगे हैं। वहीं, उल्लंघनकर्ता और अधिकारियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाले बिचौलिए की टीम भी सक्रिय हो गई है।
दीगर है ग्रेप के नियमों के उल्लंघन को लेकर किस पर कितना जुर्माना लगाना या दिखाना है, इसे यह टीम तय करती है। बात बनने पर बगैर सुर्खियों में आए मामला निपट रहा है, और बात नहीं बनने पर कई हजार से लाखों रुपए का जुर्माना उल्लंघन करने वालों पर लगाया जा रहा है। अकेले जुर्माना लगाना ही नहीं वसूली के लिए प्रशासनिक कार्रवाई भी तेज या धीमी कराने की पकड़ भी इसी टीम के सदस्य तय कर रहे हैं।
-बेदिल