ओडिशा हाईकोर्ट ने कहा है कि जो प्रवासी कोरोना टेस्ट में निगेटिव पाए जाएंगे, उन्हें ही केवल राज्य में वापस आने दिया जाएगा। गुरुवार (07 मई) को अपने एक आदेश में हाईकोर्ट ने राज्य की नवीन पटनायक सरकार को आदेश दिया कि गुजरात समेत अन्य राज्यों को प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए दिए गए परमिशन को तुरंत रद्द करे। जस्टिस एस पांडा और जस्टिस के आर मोहपात्रा की खंडपीठ ने प्रवासियों की वापसी से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, “राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ओडिशा आने के लिए कतार में लगने वाले सभी प्रवासियों को ट्रेनों और बसों में चढ़ने से पहले उनका COVID-19 का नकारात्मक परीक्षण किया जाए।” हाईकोर्ट के इस आदेश से हजारों प्रवासियों को झटका लग सकता है जो लॉकडाउन और कोरोना के संकट काल में अपनी मातृभूमि और अपने घरों को लौटने का सपना देख रहे थे। इनमें से कुछ तो रास्ते में हैं।

गुजरात के सूरत से शुक्रवार (08 मई) को ओडिशा के लिए रवाना होनेवाली पांच ट्रेनों को अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद रद्द कर दिया गया है। सूरत के जिलाधिकारी धवल पटेल ने कहा, “हमें ओडिशा सरकार के अधिकारियों से जानकारी मिली कि उन्होंने एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) रद्द कर दिया है। उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार, अब सभी यात्रियों का पहले नकारात्मक परीक्षण किया जाना चाहिए, फिर उन्हें ओडिशा भेजा जाना चाहिए। स्थानीय प्रशासन के लिए इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों का मेडिकल परीक्षण करना असंभव है।”

पटेल ने कहा कि सूरत में अब तक 500 लोगों का ही कोरोना टेस्ट हो सका है। बता दें कि सूरत भी गुजरात का एक हॉटस्पॉट है, जहां गुरुवार तक कुल 799 केस थे। गुजरात में किसी शहर के लिए यह दूसरी बड़ी संख्या है। ओडिशा के सूचना और जनसंपर्क विभाग के अनुसार, गंजम जिले में कोरोनोवायरस मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है, जिसमें सूरत से लौटे 17 लोगों का परीक्षण किया गया। ओडिशा में कोरोनवायरस के मरीजों की संख्या गुरुवार शाम को 219 तक पहुंच गई थी।

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