West Bengal: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के आसनसोल में नेता बीजेपी नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष (LoP) शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) अब अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता के निशाने पर आ गए हैं। पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने शुभेंदु अधिकारी के कंबल वितरण कार्यक्रम में भगदड़ मचने को लेकर प्रतिक्रिया दी है। दिलीप घोष ने बृहस्पतिवार (15 दिसंबर) को कहा कि सिर्फ पुलिस (Police) पर दोष मढ़ कर हम अपनी जिम्मेदारी से किनारा नहीं सकते हैं। इस हादसे के लिए आयोजक अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते हैं।

आयोजक अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते हैंः Dilip Ghosh

पश्चिम बंगाल बीजेपी नेता दिलीप घोष ने कहा कि हमारे राज्य के गरीबों को भत्ता, पैसे, कंबल बांटने के लिए लोगों को इकट्ठा तो कर लिया जाता है लेकिन भगड़ मच जाने के बाद होने वाली दुर्घटनाओं के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। ऐसे कार्यक्रम आयोजकों को अपनी भूमिका तय करनी होगी, भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदारी से वह बच नहीं सकते हैं। बुधवार (14 दिसंबर) को बीजेपी के नेता जितेंद्र तिवारी ने आसनसोल में कंबल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया था, जहां शुभेंदु अधिकारी मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम शुरू होते ही वहां भगदड़ मच गई और तीन महिलाओं की मौत हो गई। इधर भगदड़ मचने के बाद शुभेंदु अधिकारी वहां से चले गए थे।

Supreme Court पहुंची ममता सरकार

पश्चिम बंगाल के आसनसोल में कंबल वितरण के दौरान मची भगदड़ में तीन महिलाओं की मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी लेकिन अब ममता सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि शुभेंदु अधिकारी पर कलकत्ता हाईकोर्ट की सुरक्षा है। हाईकोर्ट के एक जज ने शुभेंदु पर एफआईआर नहीं दर्ज करने का आदेश दिया था। जिसके बाद सरकार मजबूर थी लेकिन जिस तरह से भगदड़ में तीन महिलाओं को जान से हाथ धोना पड़ा उसमें केस दर्ज करना तो बनता है।

Mamta Governmet ने वापस ली Supreme Court से याचिका

सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने ममता सरकार की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। हालांकि बेंच ने ये जरूर कहा कि सरकार इस मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से संपर्क करे तो बेहतर होगा। सीजेआई ने कहा कि सिंगल जज उपलब्ध नहीं हैं तो सरकार चीफ जस्टिस के पास जाकर अपनी फरियाद कर सकती है। सीजेआई के फैसले के बाद ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली।