Pune News: पुणे जिले में हुए पार्षदों के चुनाव में विपक्षी पार्टियों का प्रदर्शन काफी अच्छा नहीं रहा। सबसे बड़ी बात तो यह रही कि महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियां नगर परिषद चुनावों में लगभग 90 प्रतिशत सीटों पर दूसरे नंबर तक भी नहीं पहुंच सकीं। इन चुनावों के नतीजे बताते हैं कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी ने कई क्षेत्रों में अलग-अलग चुनाव लड़कर जिले में बहुमत हासिल कर लिया। कई मामलों में, विपक्षी दल कांग्रेस, एनसीपी (SP) और शिवसेना (UBT) इस बहुमत के कारण चुनाव से बाहर हो गए और इसका एक कारण यह भी था कि उन्होंने चुनाव में उम्मीदवार ही नहीं उतारे थे।
पुणे जिला सूचना कार्यालय द्वारा शेयर किए गए चुनाव आंकड़ों के मुताबिक, जिले की 398 पार्षद सीटों में से लगभग 350 सीटों पर विपक्षी दल न तो जीत सके और न ही दूसरे नंबर पर रहे। विपक्षी गठबंधन ने 14 पार्षद सीटें जीतीं और केवल 33 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे। यह परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है।
यहां पर विपक्षी दलों को कोई सीट या उपविजेता नहीं मिला
आलंदी में भारतीय जनता पार्टी ने 15 पार्षद सीटें जीतीं, शिवसेना ने चार सीटें और एनसीपी ने दो सीटें जीतीं। उपविजेताओं की लिस्ट में भारतीय जनता पार्टी को पांच, शिवसेना को तीन और एनसीपी को 12 सीटें मिलीं, जबकि एक व्यक्ति निर्विरोध निर्वाचित हुआ। ससवाड में बीजेपी और शिवसेना के बीच मुकाबला था। इसमें भाजपा ने 13 सीटें और शिवसेना ने नौ सीटें जीतीं। बीजेपी आठ सीटों पर दूसरे नंबर पर रही, शिवसेना 12 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही, जबकि दो पार्षद निर्विरोध निर्वाचित हुए।
भोर में भी बीजेपी और एनसीपी के बीच ऐसा ही मुकाबला देखने को मिला। बीजेपी ने 16 पार्षद सीटें जीतीं, जबकि एनसीपी को चार सीटें हासिल हुईं। वहीं दूसरी ओर, एनसीपी 16 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही, जबकि बीजेपी चार सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। जेजुरी में एनसीपी ने 17 पार्षद सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने दो पार्षद सीटें जीतीं और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने हासिल की। बीजेपी को तीन सीटों पर दूसरा स्थान मिला, जबकि एनसीपी को भी तीन सीटों पर दूसरा स्थान मिला।
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राजगुरुनगर में, शिवसेना ने 10 पार्षद सीटें, एनसीपी ने पांच सीटें, बीजेपी ने चार सीटें और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो सीटें जीतीं। विपक्षी दलों को यहां भी उपविजेता स्थानों पर कोई सीट नहीं मिली, जो एनसीपी, बीजेपी, शिवसेना और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच विभाजित हो गईं। तलेगांव दाभाडे में भी एनसीपी ने 17 पार्षद सीटें जीतीं, बीजेपी ने 10 और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की। यहां भी किसी भी सीट पर विपक्षी दल को दूसरा नंबर नहीं मिला।
वडगांव में एनसीपी ने नौ पार्षद सीटें जीतीं, बीजेपी को छह सीटें मिलीं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों को दो सीटें मिली। एनसीपी, बीजेपी, शिवसेना और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने इन सभी सीटों पर उपविजेता की जगह हासिल की। कई जगहों पर विपक्ष ने उम्मीदवार भी नहीं उतारे। उदाहरण के लिए, तलेगांव दाभाडे में 19 पार्षद निर्विरोध निर्वाचित हो गए।
बीजेपी ने हमारे नेताओं को अपने पाले में कर लिया है- अक्षय जैन
यूथ कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी अक्षय जैन ने कांग्रेस की इस हद तक संघर्ष करने की वजहों पर अपने विचार शेयर किए। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी मायने रखती है, लेकिन चेहरे भी मायने रखते हैं। बीजेपी ने हमारे नेताओं को अपने पाले में कर लिया है, जिसके चलते हमारे पास चेहरों की कमी हो गई है। इस साल बीजेपी ने कांग्रेस से विधायक संग्राम थोपते और संजय जगताप जैसे जन नेताओं को अपने पाले में कर लिया।” उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, कांग्रेस चुनाव परिणाम से संतुष्ट है। पिछले साल के विधानसभा चुनाव की तुलना में हमारा स्ट्राइक रेट और वोट प्रतिशत बढ़ा है। हमें इसे और बेहतर बनाने के लिए काम करना होगा और अब जमीनी स्तर के युवा चेहरों के लिए आगे आने का अवसर है।”
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