माफिया डॉन रहे मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की अदावत के बारे में सभी जानते हैं। दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन थे। हालांकि मुख्तार अंसारी की मार्च 2024 में बीमारी के कारण मौत हो गई। वहीं बृजेश सिंह अभी जेल से बाहर है। दोनों की दुश्मनी को लेकर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बड़ा दावा किया है। ओमप्रकाश राजभर के अनुसार केवल पुलिस और दुनिया की नजरों में दोनों दुश्मन थे, जबकि दोनों के बीच फोन पर लगातार बातचीत होती रहती थी।

राजनाथ सिंह ने राजभर से क्या वादा किया?

ओमप्रकाश राजभर ने एक यूट्यूब समाचार चैनल से बात करते हुए बड़ा दावा किया। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि 2009 की बात है, जब मैं साबरमती जेल बृजेश सिंह से मिलने गया था। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि 2009 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मुझे दो सीट देने की बात कही थी और कहा था कि एक सीट चंदौली से बृजेश को लड़ा देना, दूसरी सीट घोसी से तुम लड़ जाना। ओपी राजभर के अनुसार राजनाथ ने उन्हें कहा कि बृजेश को जाकर साबरमती जेल में समझाओ कि वो चंदौली से ही लड़े।

ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि मैं साबरमती जेल गया और वहां पर राजनाथ सिंह भी आए थे। इसके बाद जब तीनों में बात हुई तो बृजेश सिंह नहीं मान रहे थे। उसे बनारस की सीट चाहिए थी। लेकिन राजनाथ सिंह ने उनसे कहा कि वहां पर मोदी जी चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद वह वहां से चले जाते हैं।

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ओम प्रकाश राजभर के अनुसार हम बृजेश सिंह से बात कर रहे थे, तभी मुख्तार का फोन बृजेश सिंह के पास आता है। ओपी राजभर कहते हैं, “बृजेश के पास फोन आता है और मुख्तार पूछता है कि राजभर जी वहां पर है। इसके बाद मुख्तार ओपी राजभर से उसी के फोन से बात करने लगता है।”

मुख्तार-बृजेश दुश्मन नहीं थे- ओपी राजभर

ओपी राजभर कहते हैं, “मुख्तार हमसे फोन पर बताते हैं कि आपके वहां पर क्यों गए, हम ही बृजेश से कह दिए होते, हो जाता बात। वहां जाने की क्या जरूरत थी?” ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि मैं भी सन्न रह गया था जब दोनों के बीच फोन पर बातचीत को देखा। ओपी राजभर ने कहा केवल बाहरी दुनिया में वे दोनों एक दूसरे के दुश्मन थे। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि फोन काटने के बाद मैंने पूछा कि बाहर की दुनिया में इतनी पब्लिसिटी है कि दोनों दुश्मन है। इसके जवाब में बृजेश सिंह कहता है कि अगर बाहर में इतना पब्लिसिटी नहीं रहेगा तो हम लोग को रंगदारी टैक्स कोई देगा? ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि दुश्मनी केवल कमाने का एक धंधा था।