मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किए जाने के मामले में अहम बयान दिया है। उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं में पक्षकार बनने को लेकर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं।

उमर अब्दुल्ला लंबे वक्त से मांग करते रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए।

श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उमर ने कहा, “मैंने जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के बहुत सारे सीनियर एडवोकेट्स से इस बारे में बात की है कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर मैं इस मामले में पक्षकार बनूं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण हमें जो नुकसान उठाने पड़ते हैं, उसे मुझसे ज्यादा कोई और समझ सकता है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पूरे देश में एकमात्र शख्स हैं जिन्हें जम्मू-कश्मीर के राज्य रहने और बाद में केंद्र शासित प्रदेश बनने पर भी मुख्यमंत्री होने का अनुभव है।

उमर ने कहा कि इस मामले में उनकी कानूनी टीम के साथ चर्चा चल रही है। टीम की राय मिलने के बाद इस बात की संभावना है कि वह इस मामले में पक्षकार बन जाएंगे।

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सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पिछली सुनवाई 10 अक्टूबर को हुई थी और तब अदालत ने केंद्र सरकार को इस मामले में जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया था। यह याचिकाएं जहूर अहमद भट और खुर्शीद अहमद मलिक ने दायर की थी। अपनी याचिकाओं में इन दोनों ने जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की मांग की थी।

उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए बीजेपी के साथ किसी तरह के गठबंधन की संभावना को पूरी तरह नकार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करना किसी भी हालत में संभव नहीं है।

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