मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने सिंचाई परियोजनाओं के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘पर ड्राप मोर क्राप’ के सिद्धांत को पूरी तरह अपना लिया है। आधिकारिक तौर पर आज यहां बताया गया कि प्राधिकरण की सभी भावी सिंचाई परियोजनाओं की रूपरेखा अब ‘पर ड्राप मोर क्राप’ को लक्षित कर बनाई जा रही हैं।
मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य ने मंत्रालय में ली गई समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गई। अब तक जिन परियोजनाओं में माइक्रो सिंचाई पद्धति लागू की गई है, उनमें जल उपयोग दक्षता में 50 फीसद की उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है।
प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रजनीश वैश ने बताया कि प्राधिकरण अब भावी सिंचाई परियोजनाएँ 100 प्रतिशत माइक्रो सिंचाई सिद्घांत पर क्रियान्वित करेगा। प्राधिकरण की पुनासा, खरगोन और ओंकारेश्वर उद्वहन परियोजनाओं में माइक्रो सिंचाई का उपयोग किया जा रहा है। इन परियोजनाओं में जल उपयोग दक्षता 50 प्रतिशत बढ़ गई है।
प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने बताया कि मालवा के इन्दौर और उज्जैन जिले के 158 गाँव की 50 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित करने वाली नर्मदा-मालवा-गम्भीर लिंक परियोजना का कार्य जारी है। प्राधिकरण द्वारा अलीराजपुर, बलवाड़ा, छेगाँव माखन, बिस्टान, सिमरोल, अम्बा चंदन तथा हरसूद उद्वहन सिंचाई योजनाएँ भी स्वीकृत की जा चुकी हैं। प्राधिकरण की निर्मित तथा निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं से वर्ष 2015-16 में 5 लाख हेक्टेयर रकबा सिंचित किया गया। वर्ष 2019 तक 7,98000 हेक्टेयर लक्ष्य से आगे बढ़कर प्राधिकरण 11 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई जल पहुँचाने की दिशा में तत्परता से प्रयास कर रहा है।