दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आम आदमी पार्टी सरकार से पूछा कि उसे निजी गैर सहायताप्राप्त स्कूलों में नर्सरी कक्षाओं में प्रवेश के लिए ऊपरी उम्र सीमा चार वर्ष तय करने की शक्ति कहां से मिली।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने पूछा, ‘आपको अधिकतम उम्र तय करने की शक्ति कहां से मिल रही है।’ न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा लगता है कि ऊपरी सीमा तय करने संबंधी दिल्ली सरकार की अधिसूचना को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है क्योंकि यह उपराज्यपाल द्वारा या किसी कानूनी मान्यता के तहत जारी नहीं की गई है।
न्यायाधीश ने सवाल किया, ‘2007 को आदेश (निजी गैर सहायताप्राप्त स्कूलों की प्रवेश प्रक्रिया पर) उपराज्यपाल द्वारा जारी किया गया। आपकी अधिसूचना को कोई कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है। यह कहां से आ रही है, मुझे नहीं पता। केवल प्रशासक (उपराज्यपाल) अधिसूचना जारी कर सकते हैं।
आप एक कार्यकारी आदेश के द्वारा वर्ष 2007 के वैधानिक आदेश को पीछे कैसे कर सकते हैं?’ उपराज्यपाल द्वारा जारी 2007 का आदेश निजी गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों को नर्सरी प्रवेश में अपने दिशानिर्देश खुद तय करने की आजादी देता है। इस बीच, निजी गैर सहायताप्राप्त स्कूलों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि आप सरकार का नर्सरी प्रवेश में कुछ खास मानदंड एवं प्रबंधन कोटा हटाने का फैसला अपने आप में वास्तविकता से परे है।
स्कूलों ने न्यायमूर्ति मनमोहन के सामने दलील दी कि सरकार को सभी निजी गैर सहायताप्राप्त स्कूलों के लिए एक साथ कोई आदेश जारी करने की बजाय ऐसे संस्थान, जहां बच्चों से संबंधित शाकाहारी होने, धूम्रपान नहीं करने और शराब नहीं पीने जैसी पसंद के मानदंड हंै, की पहचान करनी चाहिए थी और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी।