उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान सामाजाकि कार्यकर्ता परवेज की हत्या के मामले में अहम जानकारी सामने आई है। उनकी हत्या के 16 आरोपियों में से एक स्थानीय व्यापारी नरेश त्यागी भी है। अदालत के रिकॉर्ड से पता चला है कि त्यागी छह साल पहले हत्या के एक मामले में दोषी ठहराया गया था और उसे उम्र कैद की सजा मिली थी। बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी। दिल्ली पुलिस द्वारा फाइल की गई चार्जशीट के मुताबिक 25 फरवरी को त्यागी भजनपुरा में दंगाईयों की भीड़ में शामिल हुआ था।
परवेज की छाती में दाईं तरफ गोली मारी गई जिसके चलते उनकी मौत हो गई। त्यागी के खिलाफ हत्या और दंगा फैलाने के मामले में केस दर्ज किया गया। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में पहले उसके दोषी होने और इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने का उल्लेख था। हालांकि जमानत अपने आप में विवाद का विषय था।
दरअसल हत्या का ये मामला 17 दिसंबर, 2008 को बागपत में एक स्थानीय निवासी की हत्या से संबंधित है। कोर्ट रिकॉर्ड से पता चलता है कि पीड़ित को तब गोली मारी गई जब वो दवा लेने जा रहा था। हत्या के इस मामले में साल 2014 में तीन व्यक्तियों हरिओम, प्रवीण और नरेश त्यागी को दोषी ठहराया गया था।
इसके बाद तीनों ने सजा के खिलाफ आपराधिक अपील दाखिल की। चार अप्रैल, 2015 को त्यागी और प्रवीण को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। मगर हरिओम की जमानत 21 जुलाई, 2015 को खारिज कर दी गई।
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक्सेस किए गए कोर्ट के रिकॉर्ड से पता चलता है कि साल 2015 में बागपत हत्या मामले में शिकायकर्ता ने हाई कोर्ट में एक चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा कि जांच और ट्रायल के दौरान पुलिस ने ‘आरोपी का पक्ष लिया’ और सजा से बचाने के लिए चौतरफा मदद की।
पुलिस चार्जशीट के मुताबिक त्यागी की पहचान क्षेत्र में दंगाई भीड़ में शामिल सदस्य के रूप में की गई थी और अपराध के समय उसके मोबाइल फोन की लोकेशन वहीं थी।

