देश के सबसे बड़े जेवर हवाई अड्डे के पास फ्री होल्ड भूखंड के नाम पर अवैध कालोनी काटने वालों की जनपद अलीगढ़ के टप्पल इलाके में बाढ़ सी आ गई है। 15 से 20 हजार रुपए प्रति गज के हिसाब से काटी जा रही कालोनियों को तोड़ना और आगे बनने से रोकना यीडा के लिए चुनौती साबित हो रहा है।

यीडा अधिकारियों ने यहां समय-समय पर अभियान चलाकर हजारों करोड़ रुपए की जमीन पर बने अवैध निर्माण तोड़कर कब्जा लेने का दावा भी किया है, लेकिन कालोनी काटने का क्रम रुक नहीं रहा है। यीडा अधिकारियों ने पिछले करीब दस महीनों के दौरान ही दो से तीन हजार करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की जमीन को खाली कराने का दावा किया है। यीडा के ओएसडी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि जमीन खरीदने वाले पहले पूरी छानबीन करें, उसके बाद ही रकम फंसाए। टप्पल इलाके में बनने वाली हर अवैध कालोनी को प्राधिकरण तोड़ देगा। कालोनी काटने वाले बेचकर भाग जाते हैं। बाद में उसे खरीदने वाले को झेलना पड़ता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हम किसानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। किसानों से जमीन अधिग्रहण पर काम चल रहा है।

साजो-सामान का केंद्र बनाने की तैयारी

यीडा सीईओ आरके सिंह ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ यीडा का अभियान लगातार जारी रखने और अवैध कालोनी काटने वालों के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने की बात कही है। जेवर स्थित नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से टप्पल इलाके की दूरी 70-75 किलोमीटर है। जिसे तय करने में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है। वहीं नोएडा से जेवर हवाई अड्डे तक की दूरी यमुना एक्सप्रेस वे के जरिए 60-65 किलोमीटर है। हवाई अड्डे से तकरीबन एक समान दूरी होने के बावजूद जमीन में बहुत बड़ा अंतर ही लोगों को लुभाता है। नोएडा में डेढ़ से दो लाख रुपए मीटर जमीन का भाव है। जबकि टप्पल में करीब 10-15 हजार रुपए के हिसाब से कालोनी काट कर बेच रहे हैं।

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यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की टप्पल इलाके में महत्वाकांक्षी साजो-सामान केंद्र बनाने की योजना है। यीडा के पहले चरण में गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर के 225 गांव शामिल हैं। जबकि मास्टर प्लान 2041 के तहत इनमें से केवल 107 गांव (37 हजार हेक्टेयर) ही विकसित करने की योजना है।

दूसरे चरण में अलीगढ़ के टप्पल और मथुरा के राया का 11-14 हजार हेक्टेयर को विकसित करने की योजना है। टप्पल में लाजिस्टिक केंद्र और मथुरा में राया अर्बन केंद्र का विकास प्रस्तावित है। इसके बाद न्यू आगरा और न्यू हाथरस को विकसित करने की योजना है।

15-20 हजार रुपए गज के हिसाब से जमीन बेचकर रफू चक्कर हो जाते हैं जमीन कारोबारियों

जमीन कारोबारियों का मानना है कि हवाई अड्डे के कारण टप्पल इलाके में अवैध कालोनी काटे जाने की बाढ़ गई है। निवेशकों का एक समूह यहां आकर किसानों से जमीन का सौदा करता है। फिर बोर्ड और पर्चों के जरिए प्रचार कर सस्ती दर पर फ्री होल्ड प्लाट देने का दावा करता है। सड़क, मंदिर और कुछ बिजली के खंबे लगाकर पहले निवेशक अपने स्तर पर कुछ चारदीवारी या प्लाट में कमरों का निर्माण कर यह सुनिश्चित कराते हैं कि यहां अवैध कुछ नहीं हैं। एक्वा ग्रीन, मेट्रो सिटी, आनंद विहार कालोनी, आशियाना कालोनी जैसे नाम से कालोनी काटने वाले 15-20 हजार रुपए गज के हिसाब से जमीन बेचकर रफू चक्कर हो जाते हैं।

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जबकि उन्हें खरीदने वालों को ध्वस्तीकरण दस्ते के पहुंचने पर ठगी का पता चलता है। कई कालोनी काटने वालों पर कार्रवाई होने और मुकदमे दर्ज होने के बाद भी वह खुलेआम यहीं काम कर रहे हैं।