Punjab and Haryana High Court: पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सगाई की अवधि के दौरान मंगेतर की सहमति के खिलाफ होने वाले पति को यौन शोषण करने का कोई अधिकार नहीं। हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल इसलिए कि पक्षकारों की सगाई हो गई है। वह एक-दूसरे से मिल रहे हैं, यह तथ्य होने वाले पति को उसकी मंगेतर की सहमति के बिना उसका यौन शोषण करने का कोई अधिकार या स्वतंत्रता नहीं देता है।

जस्टिस विवेक पुरी की खंडपीठ ने उस व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके खिलाफ उसकी मंगेतर ने बलात्कार का केस दर्ज कराया है। पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता को सगाई और शादी के बीच की अवधि के दौरान अपनी मंगेतर की सहमति के बिना उसका शारीरिक शोषण करने की कोई छूट नहीं मिल सकती है।’

6 दिसंबर, 2022 को दोनों की होनी थी शादी

याचिकाकर्ता और उसकी मंगेतर की रोक समारोह 30 जनवरी, 2022 को हुआ था। जबकि 6 दिसंबर, 2022 को शादी की तारीख तय की गई। 18 जून, 2022 को पीड़िता को एक होटल के एक कमरे में ले जाया गया। जहां उसकी इच्छा के खिलाफ याचिकाकर्ता ने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए और उसका वीडियो भी बनाया। इसके बाद 17 जुलाई 2022 को याचिकाकर्ता की मां ने पीड़िता की बहन की सास को बताया कि याचिकाकर्ता पिछले दो महीनों से घर पर झगड़ा कर रहा है, क्योंकि वह पीड़िता से शादी नहीं करना चाहता है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि जब उसके परिवार को पता चला कि पीड़िता के अन्य पुरुष मित्रों के साथ प्रेम संबंध हैं, तो उन्होंने 2 जुलाई, 2022 को शादी न करने का फैसला किया। इसके बाद उसकी मंगेतर (पीड़िता) ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज कराया और आरोप लगाया कि उसने 18 जून, 2022 को उसके साथ बलात्कार किया।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा- दोनों अपनी मर्जी से होटल के कमरे में गए थे

इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सगाई के बाद याचिकाकर्ता और पीड़िता दोनों अपनी मर्जी से एक होटल में गए। होटल के रिकॉर्ड में दोनों के नाम गेस्ट के रूप में दर्शाए गए हैं। इसके आगे यह भी तर्क दिया गया कि पीड़िता की सहमति से शारीरिक संबंध बनाए गए थे। इस घटना के बाद भी व्हाट्सएप पर दोनों के बीच बातचीत होती रही, जो यह बताता है कि दोनों के बीच संबंध सहमति से बनाए गए थे। इसलिए IPC की धारा 376 के तहत कोई केस नहीं बनता है।

याचिकाकर्ता के वकील की बात सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा जिन व्हाट्सएप मैसेजों पर भरोसा करने की मांग की गई है, वे घटना के बाद के थे और यह इंगित करने के लिए सामग्री की कमी है कि 18 जून, 2022 (कथित घटना की तारीख) को पीड़ित पक्ष ने ऐसे किसी भी संबंध के लिए सहमति दी थी।

कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए क्या कहा-

कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि घटना के बाद व्हाट्सएप पर बातचीत इसलिए की गई हो, क्योंकि उस समय वैवाहिक गठबंधन मौजूद था। हालांकि, यह संदेश यह नहीं बताते हैं कि यह कृत्य याचिकाकर्ता द्वारा पीड़िता की सहमति से किया गया था। किसी भी समय यह पता नहीं चला है कि पीड़िता ने अपनी इच्छा से संभोग के लिए सहमति दी थी और यह एक सहमति से संबंध बनाने का मामला है।’

इस पूरे घटनाक्रम पर कोर्ट ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि याचिकाकर्ता की मां से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जब शारीरिक संबंध हुए थे, उस समय भी याचिकाकर्ता की ओर से शादी करने के लिए अनिच्छा जाहिर की गई थी।

कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘यह इंगित करने के लिए सामग्री की कमी है कि याचिकाकर्ता की ओर से शादी करने का का वास्तविक इरादा था और पीड़िता प्रासंगिक समय पर सहमति देने वाला पक्ष थी। मामले की अजीब परिस्थितियों में यह साबित नहीं हुआ है कि यह संबंध सहमति से बनाए गए थे। पीड़िता का स्पष्ट बयान है कि याचिकाकर्ता ने उसकी अनिच्छा, अस्वीकृति और इनकार के बावजूद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।

कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता की ओर से कृत्य के प्रति निष्क्रिय प्रस्तुतिकरण को यह मानने के लिए एक परिस्थिति के रूप में नहीं माना जा सकता है कि यह संबंध सहमति से बनाए गए थे।’