उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से जान गंवाने वालों की संख्या हजारों में है। उसके बाद भी शराब राजनीतिक दलों को सत्ता तक पहुंचाने में अहम किरदार अदा करता रही है। इस सच को भांपने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रदेश की आधी आबादी तक अपनी दखल बनाने के लिए शराब का सहारा लेंगे। उन्होंने दो टूक कहा है कि यदि विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जनता दल (एकी) सरकार बनाने का सामर्थ्य जुटा पाई तो बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी शराब की बिक्री प्रतिबंधित कर दी जाएगी।
उत्तरप्रदेश में चार साल पहले हुए विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मौजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश की जनता से वादा किया था कि दवा पढ़ाई मुफ्त होगी, दवाई सस्ती होगी। उस वक्त क्रान्ति रथ पर सवार होकर उत्तर प्रदेश की परिक्रमा कर रहे अखिलेश यादव ने प्रदेश के शायद ही किसी जिले में इस नारे को न दोहराया हो। 15 मार्च वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनने के बाद कई मर्तबा अपने सरकारी आवास पांच कालीदास मार्ग पर भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इशारों में उनकी सरकार में दवा के सस्ता होने का जिक्र भी किया। लेकिन समाजवादी पार्टी के सत्ता पर काबिज होने के इस नुस्खे को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में सिरे से खारिज करने पर आमादा हैं। बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी पूर्ण शराबबंदी का शिगूफा छेड़कर नीतीश ने उत्तर प्रदेश में भी शराब के शौकीनों को अपना विरोधी बना लिया है। लेकिन उनके इस वादे के बिहार में हकीकत में तबदील होने के बाद उत्तर प्रदेश की महिलाओं के बीच जनता दल (एकी) चर्चा का विषय बना हुआ है।
नीतीश कुमार की शराबबंदी पर राजनीतिक विश्लेषक नीलम मिश्र कहती हैं, शराब के सेवन का सर्वाधिक दुष्प्रभाव परिवार की महिलाओं और बच्चों को झेलना पड़ता है। पुरुष के शराब पीने से घर में असुरक्षा का जो वातावरण उत्पन्न होता है उसे दूर करने का एकमात्र तरीका प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी है। शराबबंदी का नारा देकर नीतीश कुमार प्रदेश की महिलाओं के बीच आंशिक तौर पर ही सही, अपनी जगह बना पाने में कामयाब होते नजर आ रहे हैं। दरअसल शराबबंदी का नारा देकर नीतीश कुमार प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार पर परोक्ष दबाव भी बनाने की कोशिश करेंगे।
शराबबंदी को उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार इस मुद्दे को लेकर पहली बार अखिलेश यादव की राजधानी में हैं। जनता दल एकी के सूत्र बताते हैं कि लखनऊ के अलावा नीतीश उत्तर प्रदेश के सभी 18 मंडलों में अगले तीन महीनों में लगातार चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। इन सभाओं में नीतीश का सबसे बड़ा मुद्दा उत्तर प्रदेश में भी पूर्ण शराबबंदी को लागू कराना है। शराबबंदी को लेकर प्रदेश में जनाधार तलाशने की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार को इसमें कामयाबी कितनी मिलेगी? यह तो आने वाले विधानसभा चुनाव के परिणामों से पता चलेगा। लेकिन इतना तय है कि उनके इस मुद्दे ने जहां शराबियों की पेशानी पर बल पैदा कर दिया है, वहीं महिलाएं इससे खासी प्रभावित नजर आ रही हैं।