साल था 2000, बिहार विधानसभा के चुनाव हुए थे। उस चुनाव में राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को बहुमत नहीं मिला था। इस वजह से राबड़ी देवी की सरकार गिर गई। उस समय केंद्र में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ के नेतृत्व में ‘एनडीए सरकार’ थी। उस सरकार नीतीश कुमार केंद्र सरकार में ‘कृषि मंत्री’ के तौर पर कार्य कर रहे थे। एनडीए सरकार में ‘समता पार्टी’ की ओर से नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडीस मंत्री थे।

उस चुनाव में राजद बहुमत से दूर जरूर रही हो लेकिन पार्टी सबसे बड़ा दल बनी थी। राजद के खाते में 124 विधायक थे। उस समय झारखंड, बिहार का ही हिस्सा था, यानी झारखंड उस वक्त तक राज्य नहीं बना था। इस वजह से 324 विधायकों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 163 विधायकों की जरूरत थी। लेकिन बहुत जोड़ तोड़ के बाद भी राजद और उसके सहयोगी दल 159 पर ही अटक गए। दूसरी ओर बीजेपी के खाते में 67 सीटें आईं थीं, वहीं समता पार्टी को 34 विधायकों का समर्थन था। ऐसे में एनडीए के पास उस समय कुल 151 विधायकों का समर्थन प्राप्त था। लेकिन चूंकि केंद्र में एनडीए सरकार थी इस वजह से बिहार के राज्यपाल रहे ‘विनोद चन्द्र पाण्डेय’ ने एनडीए को सरकार बनाने के लिए न्योता दे दिया।

पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं था प्राप्त

न्योता मिलते ही नीतीश कुमार राजभवन पहुंचे और पहली बार ’03 मार्च 2000′ को एनडीए के समर्थन से उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि सरकार ज्यादा दिन तक चल नहीं पाई और महज 7 दिन के भीतर ही नीतीश कुमार की सरकार गिर गई। दरअसल के नीतीश के पास पर्याप्त विधायकों का समर्थन प्राप्त नहीं हो पा रहा था। ऐसे में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। नीतीश कुमार की सरकार गिरने के बाद लालू यादव ने जोड़ करते हुए फिर से अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवा दिया।

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बिहार की राजनीति में पिछले 20 सालों से नीतीश कुमार राज्य का नेतृत्व कर रहे हैं। साल 2005 में वो दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद तो मानों उनकी गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली हो। साल 2010 में फिर तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार उनको प्रचंड जीत मिली। लेकिन फिर 2013 में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद नीतीश कुमार ने गठबंधन तोड़ लिया और राज्य की सत्ता कुछ महीनों के लिए जीतन राम मांझी को सौंप दी।

राजद से दो बार नीतीश कुमार ने मिलाया हाथ

हालांकि फरवरी 2014 में नीतीश चौथी बार फिर मुख्यमंत्री बने और आगामी विधानसभा चुनाव में राजद के साथ उन्होंने हाथ मिलाया। 2015 में हुए बिहार चुनाव में जीत के बाद नीतीश पांचवी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। लेकिन राजद और नीतीश का साथ ज्यादा समय तक नहीं चला और साल 2017 में वो एनडीए में शामिल हुए और छठी बार मुख्यमंत्री बने।

2020 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश सातवीं बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि 2022 में एक बार फिर नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ राजद के साथ गठबंधन किया और आठवीं बार मुख्यमंत्री बने। लेकिन एक बार फिर यह गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं चला और नीतीश कुमार 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में फिर से वापस आ गए और नौंवी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।

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हाल ही में बीते बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को भारी जीत मिली है। जिसके बाद नीतीश कुमार दसवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं। इसके साथ ही देश में सबसे ज्यादा बार शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री की लिस्ट में नीतीश कुमार सबसे ऊपर हैं।