बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार (15 मई) को उत्तर प्रदेश में भी पूर्ण शराबबंदी की वकालत की। उधर सत्तारूढ़ सपा ने नीतीश पर आरोप लगाया कि वह उत्तर प्रदेश के बारे में नकारात्मक टिप्पणी कर सांप्रदायिक ताकतों को मजबूत कर रहे हैं। नीतीश एक दिन के लखनऊ प्रवास पर थे। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए लगता है नीतीश शराबबंदी को बड़ा हथियार बनाने की तैयारी में हैं। तभी उन्होंने राज्य सरकार से शराब प्रतिबंधित करने की मांग की। नीतीश की टिप्पणी पर सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि जिस ढंग से नीतीश उत्तर प्रदेश को निशाना बना रहे हैं, यहां अकसर आ-जा रहे हैं और सपा के खिलाफ उनकी टिप्पणी सांप्रदायिक ताकतों को मजबूत करेगी, जिनके खिलाफ प्रदेश सरकार लड़ रही है। उन्होंने कहा कि नीतीश अब एमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की श्रेणी में आ गए हैं, जो राज्य की जनता को गुमराह करने के लिए अकसर उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं।
इससे पहले नीतीश ने यहां किसान मंच के एक कार्यक्रम में कहा कि अखिलेश जी राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कीजिए। उन्होंने कहा- जब बिहार में शराबबंदी लागू की गई तो पीने वालों को तीन-चार दिन काफी परेशानी हुई। लेकिन उसके बाद सब शांत और शुद्ध हो गए। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते राज्य में शराबबंदी लागू कर चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीतीश ने कहा कि वह भाजपा शासित सभी राज्यों में पूर्ण शराबबंदी लागू करें। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी आग्रह किया कि वह बिहार से सटे प्रदेश के सीमाई जिलों में सीमा से कम से कम पांच किलोमीटर की दूरी के भीतर शराब न बिकने दें क्योंकि बिहार में शराबबंदी के बाद लोग सीमावर्ती जिलों में आकर शराब पी रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम बिहार में शराब की दुकानें बंद कर रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में शराब की दुकानें सीमावर्ती जिलों में धड़ल्ले से चल रही हैं। इसलिए सीमावर्ती जिलों में कम से कम पांच किलोमीटर की परिधि में कोई शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए। इस बारे में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मैंने पत्र भेजा है लेकिन अब तक जवाब नहीं आया है। मुख्य सचिव (बिहार) ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। नीतीश कुमार के शराबबंदी अभियान पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा- लगता है कि यह बिहार में कानून व्यवस्था के मोर्चे पर विफलता से ध्यान भटकाने वाली बात है।