राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केंद्र सरकार को हिमाचल प्रदेश में दो सीएनजी स्टेशनों की स्थापना करने के लिए 17.5 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही एनजीटी ने राज्य से आगामी पर्यटन मौसम में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रोहतांग दर्रा क्षेत्र में सीएनजी बस सेवाएं शुरू करने के लिए भी कहा है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने पेट्रोलियम मंत्रालय से ताहलीवाल और मनाली में सीएनजी स्टेशनों की स्थापना करने के मुद्दे पर निष्पक्षता से और उद्देश्यपूर्ण ढंग से विचार करने के लिए कहा है। पीठ ने कहा- हम पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव को हिमाचल प्रदेश को इस संबंध में 17.5 करोड़ रुपए होने वाले खर्च से संबंधित वित्तीय सहायता देने के मामले पर विचार करने का निर्देश देते हैं। हमारे संविधान के संघीय ढांचे के तहत पर्यावरण का विषय केंद्र के अधीन है और यह आशा की जाती है कि दोनो सरकारें स्वच्छ पर्यावरण के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपने साधनों का एक साथ इस्तेमाल करेंगी जो कि नागरिकों का मौलिक अधिकार है।

यह निर्देश उस समय दिया गया है जब पेट्रेलियम मंत्रालय की तरफ से उपस्थित एक वकील ने पीठ से कहा था कि सीएनजी स्टेशनों की स्थापना के लिए हिमाचल सरकार का समर्थन करने के लिए उनके पास किसी तरह की नीति नहीं है। पीठ ने पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव को इस मामले पर अंतिम निर्णय लेने के लिए हिमाचल प्रदेश, ग्रीन गैस लिमिटेट और अन्य संबद्ध पक्षों के साथ एक हफ्ते के भीतर एक बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया है।

रोहतांग दर्रा क्षेत्र में प्रदूषण को कम करने के लिए एनजीटी ने 51 किलोमीटर लंबी मनाली-रोहतांग राजमार्ग पर सीएनजी बसों के परिचालन का रास्ता साफ कर दिया है। एनजीटी ने सीएनजी बसों के परिचालन की अनुमति तब दी है जब हिमाचल प्रदेश सरकार ने पीठ को बताया था कि ट्रायल रन सफल रहा है और राज्य ने वशिष्ट से रोहतांग दर्रे तक नियमित रूप से परिचालन के लिए इन बसों को लाने की योजना बनाई है। इससे पहले एनजीटी ने केंद्र और राज्य के सभी संबंधित विभागों से रोहतांग को संरक्षित करने के लिए इस परियोजना के लिए पूर्ण रूप से सहयोग करने का निर्देश दिया था।