रविवार को गुजरात सरकार ने राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते के डीआईजी दीपन भद्रन के नेतृत्व में छह सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। एसआईटी की इस टीम ने रिटायर्ड डीजीपी आरबी श्रीकुमार, मुंबई में रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के बारे आपराधिक साजिश रचने और जालसाजी करने के लिए जांच करेगी। एक शीर्ष अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया ये सब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार हो रहा है।
आपको बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के लिए तत्कलीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उनके मंत्रिमंडल और नौकरशाहों को भी उनकी भूमिका के लिए क्लीन चिट दी गई थी। इसके अगले दिन यानि कि शनिवार को अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (DCB) में इन तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई जिसके बाद ये कदम उठाया गया है।
एटीएस टीम सीतलवाड़ को मुंबई से अहमदाबाद लाई
एटीएस टीम तीस्ता सीतलवाड़ को मुंबई से अहमदाबाद ले आई वहीं शनिवार को श्रीकुमार को उनके घर से गिरफ्तार किया गया अगले दिन मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एसपी पटेल के सामने पेश किया गया और पुलिस रिमांड की मांग की गई। सूत्रों के मुताबिक जब सुनवाई चल रही थी तब भी सीतलवाड़ को मेडिकल चेक-अप के लिए अस्पताल ले जाया गया था। इस दौरान उन्होंने मीडिया के सामने पुलिस के हिरासत में लिए गए कथित हमले के कारण चोटों की शिकायत की थी। हालांकि पुलिस ने इस आरोप से इनकार कर दिया था।
संजीव भट्ट की गिरफ्तारी में अभी 3 दिन का समय
सूत्रों ने बताया कि संजीव भट्ट को रविवार के दिन बनासकांठा के पालनपुर जेल से डीसीबी की एक टीम ने हिरासत में लिया। संजीव भट्ट को पुलिस ने 1996 के दौरान नशीले पदार्थों के मामले में हिरासत में लिया गया है। डीसीपी क्राइम चैतन्य मंडलिक ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि भट्ट को अहमदाबाद में डीसीबी कार्यालय में ट्रांसफर वारंट पर लाने और उन्हें गिरफ्तार करने की प्रक्रिया में अभी दो से तीन दिन लगेंगे।
नई एसआटी की जिम्मेदारी इनके कंधों पर
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार मामले की जांच के लिए सबूतों को इकट्ठा किया जा रहा है। मंडलिक डीआईजी भद्रन के तहत नई एसआईटी टीम का हिस्सा हैं। इस नई टीम के अन्य सदस्यों में एटीएस एसपी सुनील जोशी, डिप्टी एसपी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) बी सी सोलंकी, जो जांच अधिकारी होंगे, पुलिस निरीक्षक पीजी वाघेला और ए डी परमार, और एक महिला निरीक्षक एच वी रावल शामिल हैं।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जकिया जाफरी की याचिका खारिज की
शुक्रवार को पीएम मोदी के खिलाफ जकिया जाफरी की दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि “प्रशासन के उच्च स्तर पर किसी भी तरह की कोई बैठक या साजिश का ऐसा सबूत नहीं पाया गया जिससे साबित हो कि गुजरात दंगों के लिए कोई साजिश रची गयी हो या दंगे भड़कने या जारी रहने के समय सरकार ने आंखें मूंद ली हो।”
तीनों के खिलाफ जांच जारी है सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं
तीनों के खिलाफ आरोपों के बारे में पूछे जाने पर डीसीपी मंडलिक ने कहा,“ इन तीनों पर सरकारी रिकॉर्ड बनाने, जाली दस्तावेज जमा करने और सत्ता का दुरुपयोग करने के आरोप हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपी अब तक असहयोगी रहे हैं और हम मामले की हर एंगल से जांच कर रहे हैं। प्रथम दृष्टया, दो पूर्व आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ आरोप उनके हलफनामे और मामले में जमा किए गए दस्तावेज हैं। हम आगे की जांच के लिए आयोगों, अदालतों और एसआईटी के सामने प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों को दोबारा निकालने की कोशिश में हैं। जांच शुरुआती चरण में है लेकिन हमारा मानना है कि साजिश के पीछे अन्य लोग भी हो सकते हैं।
1 जून 2002 से 15 जून 2022 अपराध की समय सीमा
यह पूछे जाने पर कि प्राथमिकी में अपराध की समय सीमा 1 जनवरी 2002 से 15 जून, 2022 के रूप में क्यों दर्ज की गई थी। इस सवाल का जवाब देते हुए मंडलिक ने बताया,”पूरा मामला फरवरी 2002 में गोधरा दंगों के बाद शुरू हुआ इसलिए हमने समय अवधि ब्रैकेट रखा है। 2002 से 2022 तक इसमें सभी एंगल से जांच की जाएगी।” सीतलवाड़ को रविवार तड़के अहमदाबाद के जमालपुर में डीसीबी कार्यालय लाया गया, जिसके बाद उन्हें आरटी पीसीआर परीक्षण के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया। बाद में अदालत में पेश होने के दौरान सीतलवाड़ ने संवाददाताओं से कहा कि वह अपराधी नहीं हैं।
इन धाराओं में तीनों पर मामले दर्ज
सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 468 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में इस्तेमाल करना), 194 (पूंजी की सजा हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। अपराध, 211 (चोट लगाने के इरादे से किए गए अपराध का झूठा आरोप) और 218 (लोक सेवक ने गलत रिकॉर्ड या लेखन को सजा या संपत्ति को जब्ती से बचाने के इरादे से लिखा है)।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर, प्राथमिकी में कहा गया है कि पूरे मामले के पीछे आपराधिक साजिश और वित्तीय और अन्य लाभों का पता लगाने, अन्य व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठनों की मिलीभगत से विभिन्न गंभीर अपराधों को अंजाम देने के लिए प्रेरित करने के लिए आरोपी की जांच की जाएगी।
