स्मार्ट सिटी के चयन को लेकर कुछ सदस्यों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने बुधवार (11 मई) को कहा कि केंद्र सरकार ने किसी स्मार्ट सिटी का चयन नहीं किया है, बल्कि इसका प्रस्ताव राज्य भेजते हैं और इनके चयन का मापदंड प्रतिस्पर्धा है और इसे राजनीति रंग देना ठीक नहीं है।

लोकसभा में सौगत राय व कुछ अन्य सदस्यों के पूरक सवालों के जवाब में वेंकैया नायडू ने कहा-‘केंद्र सरकार ने किसी स्मार्ट सिटी का चयन नहीं किया है। राज्य की सरकारों ने स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव तैयार करके भेजा है जो आबादी और आधारभूत ढांचे के आधार पर तैयार किया गया।’ उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 100 शहरों का पांच सालों में विकास किए जाने की बात कही गई है। पहले साल में कुछ शहरों को लिया जाएगा और इसके बाद अगले साल कुछ और को लिया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी के रूप में शहरों को लेने में कुछ मानदंड के तहत मूल्यांकन किया गया जिसमें उस सिटी की आधारभूत संरचना, विश्वसनीयता, पारदर्शिता तत्व व कई अन्य आयाम हैं जिसका प्रतिष्ठित एजेंसी ने मूल्यांकन किया। उन्होंने कहा कि कुछ शहरों को पहल चरण में लिया गया है जबकि कई शहर जो छूट गए हैं, उनके बारे में राज्य प्रदर्शन बेहतर करके दूसरे चरण में प्रस्ताव भेज सकते हैं। यह खुली प्रतिस्पर्धा है। जो कमियां हैं, उनमें सुधार करें और इसमें हिस्सा लें।

वेंकैया नायडू ने कहा कि वे स्वयं शहरी विकास मंत्री हैं, लेकिन उनका खुद का शहर नेल्लोर स्मार्ट सिटी में शामिल नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि स्मार्टसिटी परियोजना में किसी भी क्षेत्र या प्रदेश के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्मार्टसिटी परियोजना में भुवनेश्वर नंबर। पर आया है। और वहां किस दल की सरकार है, सबको पता है।

वेंकैया नायडू ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 13 शहरों का नाम सूची में है और इन्हें दूसरे चरण में एक और मौका दिया जाएगा, ताकि ये अपना प्रदर्शन बेहतर कर सकें। हम इस योजना को आगे बढ़ाते हुए क्षेत्रीय संतुलन को भी ध्यान में रख रहे हैं। उन्होंने कहा-‘इसमें कोई राजनीति नहीं है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाए।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह प्रतिस्पर्धा पर आधारित है। शहर अपना प्रदर्शन सुधारें और इसका हिस्सा बनें।