कोरोना काल में आपदा को अवसर बनाने के लिए ठगों और लुटेरों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अब खबर मिली है कि दिल्ली से सटे नोएडा में एक कंपनी के सहयोग से चलाए जा रहे कोविड अस्पताल को ही नहीं छोड़ा गया। यहां अस्पताल से ऐसी-ऐसी चीजें गायब है जिनके बिना अस्पताल चलाना मुश्किल होता है। लोग पंखे और गद्दे तक उठाकर अपने घर की शोभा बनाने के लिए ले गए हैं। अब इस अस्पताल के जिम्मेदार लोग पूरे मामले को रफा-दफा करने में जुटे हुए हैं। बेदिल को उड़ती-उड़ती खबर मिली कि अस्पताल में सुरक्षा इंतजाम और किसी भी परिंदे के पर नहीं मारने पर आखिर कौन यह सामान ले जा सकता है। जब इसमें अस्पताल के अंदर के ही लोगों का नाम आने लगा तो अब जांच शुरू हुई है।

पोस्टर में जीत

दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर भले ही अभी लंबा वक्त बचा है। पर बीते महीने हुए निगम उपचुनाव में एक सीट पर मिली जीत के बाद निगम में एक विपक्षी पार्टी काफी जोश में लग रही है। यह जोश अब पोस्टरों में भी दिखने लगा है और प्रदेश कार्यालय में पार्टी की ओर से चुनाव से पहले ही जीत का पोस्टर लगा दिया गया है। अब छोटा-मोटा कोई भी कार्यक्रम होगा तो इस पोस्टर के ठीक सामने होगा, ताकि संदेश जाए कि पार्टी की दिल्ली में जीत तय है। हालांकि आगे क्या होना है यह कोई पहले कैसे बता सकता है।

दो-दो मुख्यमंत्री!

ईद के मौके पर दिल्ली में राजनीतिक दलों ने खूब पोस्टर लगाए। लेकिन एक पोस्टर की दिल्ली में खूब चर्चा हुई। दरअसल, आम आदमी पार्टी के एक नेता के पोस्टर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के फोटो के साथ अपनी फोटो भी लगाई। इसमें केजरीवाल के आगे तो मुख्यमंत्री लिखा ही हुआ था साथ ही पार्टी के पोस्टर लगाने वाले नेताजी के नाम के आगे भी मुख्यमंत्री भी लिखा हुआ था। अब चूक मानवीय थी या तकनीकी इस पर बहस खूब चली लेकिन इसे सोशल मीडिया पर साझा कर विपक्षी दलों ने खूब मजे लिए। उन्होंने लोगों को दो-दो मुख्यमंत्री की बधाई देकर चुटकी भी ले ली। वहीं, पोस्टर लगाने वाले नेता सामने इसे गलत बोलें लेकिन भविष्य के अरमान पोस्टर में देखकर मन ही मन मुस्काए जरूर होंगे।

ताकत पर तकरार

कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस के मुखिया को एक बड़ा अधिकार दे दिया गया है। वे किसी को भी संदेह के घेरे में लेकर हिरासत में ले सकते हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की ताकत होती ही ऐसी है। अब इसका पालन मुखिया कैसे करते हैं इस पर सबकी नजर टिकी हुई है। दिल्ली में वैसे भी विपक्षी दलों के सांसदों और विधायकों की नजर में पुलिस की छवि ज्यादा अच्छी नहीं है, ऐसे में यह अधिकार ने आग में घी डालने का काम किया है। बेदिल को पता चला है कि यह विषय भी संसद में उठाने की तैयारी चल रही है।

हमसे क्या बैर!

कोविड-19 महामारी की स्थिति में सुधार होने पर दिल्ली सरकार ने अब प्रतिबंधों को लगभग खत्म तो कर दिया लेकिन साप्ताहिक बाजार पर अभी भी पाबंदी है। केवल अपनी पाबंदी की खबर सुन बीते दिनों प्रदर्शन करने पहुंचे साप्ताहिक बाजार वाले जिंदाबाद-मुर्दाबाद की जगह ‘हमसे क्या भूल हुई’
और ‘हमसे क्या बैर’ जैसे गानों की पंक्ति गुनगुनाते भी देखे गए। दरअसल, दिल्ली सरकार ने पाबंदी हटाने की घोषणा करते हुए दिल्ली मेट्रो व बसों तक को पूरी सीट क्षमता के साथ चलने की अनुमति दे दी। लेकिन जारी आदेश में मोटे मोटे अक्षरों में साप्ताहिक बाजार की बंदी बरकरार रखी। बस क्या था – प्रदर्शनकारी सरकार पर सौतेले व्यवहार का आरोप भी मढ़ते नजर आए। किसी ने ठीक ही कहा- पिछले साल छह महीने तक बंद रहे और इस साल तीन महीने से ज्यादा समय से बाजार बंद है। सरकार ने प्रत्येक रेहड़ी पटरीवालों को 20,000 रुपए की वित्तीय सहायता देने का वादा किया था लेकिन हमें अब तक वो भी रास्ते में ही है।
-बेदिल