‘जय श्री राम’ के नारे को लेकर देश में हो रहे राजनीतिक बवाल के बीच बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) के राष्टीय संयोजक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भगवान राम के रंग में रंगे नजर आए। ताजा राजनीतिक समीकरणों के बीच यह बदलाव आप का एक बड़ा हिंदू कार्ड बनकर सामने आया है। इस कार्ड के जरिए आप ने सीधेतौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। अब से पूर्व अरविंद केजरीवाल अपनी भगवान हनुमान भक्ति को लेकर भी चर्चा में रह चुके हैं।

मंगलवार को ही दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी बजट से पहले हनुमान मंदिर पहुंचकर हनुमान के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं। आने वाले दिनों में सभी दलों को निगम चुनाव के मैदान में उतरना होगा, इसलिए भगवान राम के नाम के साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल के अभिभाषण प्रस्ताव में जवाब देने को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं हनुमान का भक्त हूं, जो राम जी के भक्त हैं, इसलिए मेरा दोनों में अटूट रिश्ता हैं।

भगवान राम अध्योध्या के राजा थे। उनके राज में सब सुखी थे और कोई दुखी नहीं था। यह राम राज था और दिल्ली सरकार इसी अवधारणा पर काम कर रही है। प्रभु श्री राम के उसी रामराज्य की अवधारणा से प्रेरणा लेकर दिल्ली में पिछले 6 साल में काम किए गए हैं।

हाल ही में उप चुनाव में भाजपा को दिल्ली में नुकसान उठाना पड़ा है। इस नुकसान से उभरने के बाद अब भाजपा राम मंदिर के जरिए ही आम जनता के बीच तक जाने की कोशिश कर रही है। इस पहल से यह संदेश दिया जा रहा है कि एक लम्बे समय बाद भाजपा सरकार के कार्यकाल में मंदिर निर्माण के लिए पहल शुरू की गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता खुद इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि मंदिर से लोग भावनात्मक तौर पर जुड़ रहे हैं और इसके लिए रिकॉर्ड दान हो रहा है।

मामले में भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर न कहा कि आज अरविंद केजरीवाल ने खुद को राम भक्त बताया है। उन्होंने कहा कि आज तक अरविंद केजरीवाल ने अयोध्या राम मंदिर के दर्शन तक नहीं किए हैं और सहयोग राशि के लिए आप ने कोई पहल नहीं की है। वहीं इस मामले में ट्वीट कर भाजपा नेता नवीन कुमार ने अरविंद केजरीवाल को घेरते हुए कहा कि राम मंदिर पर फूटी कौड़ी न देने वाला अब हिंदुओं का हितेषी बन रहा है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने ही कहा था कि अध्योध्या में मंदिर की जगह पर अस्पताल बनना चाहिए।

चांदनी चौक मंदिर निर्माण में भी आगे आई थी आप

इससे पूर्व दिल्ली के चांदनी चौक के सौंदर्यकरण की योजना में हटाए गए प्राचीन मंदिर को लेकर भी जमकर राजनीतिक बवाल हुआ था। इस मंदिर की स्थापना के बाद भाजपा, कांग्रेस व आप पार्टी के नेता एक ही दरबार में नजर आए थे। इन नेताओं ने मंदिर की स्थापना के बाद वहां हवन पूजन व चालीसा पाठ भी किया था। इस पहल के जरिए पार्टियों ने खुद को हनुमान भक्त साबित करने की कोशिश की थी और एक दूसरे की घेराबंदी भी की थी।