सुप्रीम कोर्ट ने पौराणिक राम सेतु के बारे में केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश देने हेतु भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की अर्जी पर शीघ्र सुनवाई से गुरुवार को इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ ने स्वामी से कहा कि यदि केंद्र राम सेतु को छूता है तो आप अदालत के पास आएं। शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता नहीं है। यदि वे राम सेतु को छूते नहीं हैं तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।

स्वामी ने अपनी अर्जी का उल्लेख करते हुए इस पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि केंद्र को इस बारे में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा जाए कि राम सेतु के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। केंद्र ने अदालत के बाहर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि उसकी इस पौराणिक महत्त्व के सेतु से छेड़छाड़ की कोई योजना नहीं है।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 26 नवंबर को केंद्र सरकार को स्वामी की अर्जी पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया था। स्वामी ने इसमें कहा था कि सेतुसमुद्रम परियोजना के खिलाफ 2009 में दायर याचिका वे वापस लेना चाहते हैं क्योंकि सरकार ने पौराणिक महत्त्व के राम सेतु को नहीं तोड़ने का फैसला किया है।

इससे पहले स्वामी ने केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद इस पर संतोष व्यक्त करते हुए परियोजना को निरस्त करने के उनके अनुरोध पर शीघ्र सुनवाई के लिए इसका उल्लेख किया था। सेतुसमुद्रम नौवहन परियोजना का लंबे समय से कुछ राजनीतिक दल, पर्यावरणविद और कई हिंदू धार्मिक समूह विरोध कर रहे हैं। रामसेतु दक्षिण भारत के रामेश्वरम के निकट पंबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट से दूर मन्नार तक के बीच चूनापत्थर से बना हुआ है।