दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) ने सिखों पर आधारित चुटकलों पर रोक लगाने की मांग संबंधी जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि ‘संता-बंता’ के चुटकले इस अल्पसंख्यक समुदाय को बदनाम करने के लिए व्यवस्थागत ढंग से रची गई साजिश का हिस्सा हैं।
डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने संवाददाताओं से कहा, ‘सिख समुदाय को बदनाम करने के लिए व्यवस्थागत ढंग से साजिश रची गई और संता-बंता जैसे चुटकुले इसी साजिश का हिस्सा हैं। सुप्रीम कोर्ट ऐसे चुटकुलों पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हुआ है हम इसका स्वागत करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस पर उचित फैसला होगा।’ उन्होंने कहा, ‘सिखों ने देश के लिए बहुत बलिदान दिया और देश के विकास में उनकी बड़ी भागीदारी है। तमाम कुर्बानियों और योगदान के बावजूद हमारा मजाक बनाया जाता है। ऐसे चुटकुलों से सिखों की भावनाएं आहत होती हैं।’ डीएसजीएमसी प्रमुख ने दावा किया कि इस तरह के चुटकुलों से जुड़ी वेबसाइटें सैकड़ों करोड़ रुपए का कारोबार करती हैं।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने हरविंदर कौर चौधरी की ओर से दायर उस जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए बीते शुक्रवार को सहमति जताई, जिसमें ऐसे चुटकुलों पर रोक लगाने के लिए उचित व्यवस्था की मांग की गई है। जीके ने देश में ‘बढ़ रही असहिष्णुता’ के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करने को लेकर उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘हम सोनिया गांधी जी से सवाल पूछना चाहते हैं कि क्या वे 1984 का लेखा-जोखा लेकर राष्ट्रपति के पास जाएंगी?’
जीके ने रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा 1984 के दंगा पीड़ित परिवारों को मुआवजे का चेक बांटे जाने को लेकर कहा, ‘केजरीवाल ने केंद्र की राशि को बांटकर ऐसे दिखाया जैसे उन्होंने कोई बहुत बड़ा काम किया है। उनको पहले एसआइटी को दफ्तर और अधिकारी मुहैया कराना चाहिए ताकि सिखों को इंसाफ मिल सके।’’
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